Guruwar Upay: गुरुवार को करें ये सरल उपाय, गुरु ग्रह होगा मजबूत, खुलेंगे तरक्की के द्वार!
Thursday Remedies in Hindi: भगवान विष्णु के साथ-साथ गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति को भी समर्पित हैं. इनकी पूजा करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होता है. गुरुवार के दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं. धार्मिक मान्यता है कि व्रत रखने से विवाह संबंधी परेशानियां दूर होती हैं.
Guruwar ke Upay: हिन्दू धर्म में सप्ताह के 7 दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं. समर्पित देवी-देवता की पूजा करने से सुख-समृद्धि का वास होता है और उनके विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. इसी तरह गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना काफी लाभदायक माना जाता है. इससे भगवान विष्णु जीवन की समस्याएं कम करते हैं और तरक्की भी मिलती है. भगवान विष्णु के साथ-साथ गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति को भी समर्पित हैं. इनकी पूजा करने से कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होता है.
ऐसे करें गुरु ग्रह मजबूत
गुरुवार के दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं. धार्मिक मान्यता है कि व्रत रखने से विवाह संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. अगर आपकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है तो आप गुरुवार को भगवान विष्णु की आरती के बाद बृहस्पति जी की भी आरती करें. इससे आपको जरूर फायदा देखने को मिलेगा.
बृहस्पति देव की आरती
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
श्री बृहस्पतिवार की आरती- ॐ जय बृहस्पति देवा-
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।।
यह भी पढ़ें: Angarak Yog: मीन राशि में बना हुआ है अंगारक योग, 3 राशि के लोग रहें अलर्ट, हो सकता भारी नुकसान
भगवान विष्णु जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की आरती
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)