Garud Puran: मौत के बाद शरीर के इन 9 अंगों से बाहर निकलती है आत्मा, पापी व्यक्ति कैसे त्यागता है अपने प्राण?
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Garud Puran: मौत के बाद शरीर के इन 9 अंगों से बाहर निकलती है आत्मा, पापी व्यक्ति कैसे त्यागता है अपने प्राण?

Garuda Purana Death Mystery: गरुण पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर के 9 द्वारों में से किसी एक से आत्मा बाहर निकलती है. लेकिन पापी व्यक्ति अपने प्राण कैसे त्यागता है.

Garud Puran: मौत के बाद शरीर के इन 9 अंगों से बाहर निकलती है आत्मा, पापी व्यक्ति कैसे त्यागता है अपने प्राण?

How does the soul leave the body after death: जीवन और मृत्यु संसार का सबसे बड़ा सच है, जिससे कोई नहीं बच सकता. जिसने इस धरती पर जन्म लिया है, उसकी एक दिन मृत्यु भी निश्चित होगी. लेकिन यह मृत्यु कब और कैसे होगी. मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होगा. यह सब कोई नहीं जानता है. गरुड़ पुराण में मृत्यु से जुड़े ऐसे तमाम रहस्य बताए गए हैं, जिन्हें जानकर आप दंग रह जाएंगे. 

इन 9 द्वारों से बाहर निकलती है आत्मा 

गरुड़ पुराण के अनुसार, शरीर के नौ द्वार होते हैं जिनसे प्राण यानी आत्मा बाहर निकलती है. ये द्वार हैं - दोनों आंखें, दोनों कान, मुख, दोनों नासिकाएं और शरीर के दोनों उत्सर्जन अंग. इनमें से किसी एक के जरिए ही आत्मा शरीर छोड़कर गोलोक गमन करती है. 

मौत के वक्त किन लोगों की पलट जाती हैं आंखें?

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति जीवनभर अत्यधिक मोहग्रस्त रहा हो,उसका अपने परिवार से गहरा लगाव हो. इस तरह के व्यक्ति के आंखों के जरिए बाहर निकलते हैं. यही वजह है कि मृत्यु के समय ऐसे लोगों की आंखें खुली रह जाती हैं. इस तरह के लोग मोहमाया की वजह से अपने प्राण त्यागना नहीं चाहते. ऐसे में यमराज बलपूर्वक उनके शरीर में से आत्मा को हर कर ले जाते हैं, जिससे उनकी आंखें उलट जाती हैं.

सदाचारियों के कैसे निकलते हैं प्राण?

भगवान विष्णु ने गरुड़ को बताया था कि ऐसे लोग जो सदकर्म में लीन रहते हैं. विधि-विधान से ईश्वर भक्ति और पुण्य कर्म करते हैं. उनकी मृत्यु भी उतनी ही सुखपूर्वक होती है. ऐसे लोगों के प्राण नाक के जरिए बाहर निकलते हैं. इस तरह की मृत्यु होना बहुत शुभ माना जाता है. इस तरह के व्यक्ति की आत्मा मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक में चली जाती है. 

पापी लोगों के शरीर से ऐसे निकलती है आत्मा

गरुड़ पुराण के अनुसार, ऐसे व्यक्ति जिन्होंने जीवनभर स्वार्थ सिद्धि की हो. जनकल्याण के कार्यों से दूर रहा हो. कामवासना को ही अपना प्रमुख ध्येय बनाया हो. इस तरह के व्यक्ति अपने अंतिम समय में यमदूतों को सामने देखकर भय से सिहर उठते हैं. घबराहट की वजह से उनके प्राण नीचे की ओर सरक जाते हैं. यही वजह है कि उनके प्राण शरीर के निचले उत्सर्जन अंगों यानी मूत्र द्वार या मल द्वार के जरिए बाहर निकलते हैं. ऐसे लोगों का मृत्यु के डर से मल-मूत्र भी निकल जाता है. यमदूत ऐसे दुष्ट लोगों के गले में पाश बांधकर उन्हें यमलोक ले जाते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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