Tusli ke Patte Todne ke Niyam: सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पवित्र माना गया है. मान्यता है कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसके साथ ही वह आयुर्वेदिक गुणों का भंडार भी है, जो अनेक बीमारियों का सर्वनाश करता है. यही वजह है कि प्रत्येक सनातनी घर में आपको तुलसी का पौधा जरूर लगा हुआ मिल जाएगा. शास्त्रों में तुलसी की पत्तियों को तोड़ने के कई नियम बनाए गए हैं. कहा जाता है कि इन नियमों का उल्लंघन करने पर व्यक्ति की सुख-समृद्धि जाते हुए देर नहीं लगती. 


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तुलसी के पत्ते तोड़ने के नियम (Tusli ke Patte Todne ke Niyam)


सूर्यास्त के बाद न तोड़ें तुलसी


तुलसी की पत्तियों को सूर्यास्त के बाद कभी नहीं तोड़ना चाहिए. उन्हें तोड़ते हुए नाखून का भूलकर भी उपयोग नहीं करना चाहिए बल्कि उंगलियों के सहारे तोड़ना चाहिए. 


तुलसी की पत्ती को तोड़ने (Tusli ke Patte Todne ke Niyam) से पहले तुलसी माता से प्रार्थना करके अनुमति लें. यह भी ध्यान रखें कि तुलसी के एक-एक पत्ते को तोड़ने के बजाय उसकी एक छोटी सी शाखा को पूरा तोड़ लेना चाहिए. 


गिरी पत्तियों को कूड़ेदान में न डालें


कई बार तुलसी की पत्तियां टूटकर (Tusli ke Patte Todne ke Niyam) भूलवश नीचे गिर जाती हैं. बाद में वे पत्तियां पैरों के नीचे आने का अंदेशा होता है. ऐसे में उन टूटी पत्तियों को उठाकर गमले में डाल दें और तुलसी माता से क्षमा मांगे. 


बिना वजह न तोड़ें तुलसी के पत्ते


बिना वजह तुलसी की पत्तियों को तोड़ने (Tusli ke Patte Todne ke Niyam) से बचें. ऐसा करना अनैतिक और पाप माना जाता है. बिना नहाए तुलसी की पत्तियों को तोड़ने से हमेशा बचना चाहिए. ऐसा न करने से दुर्भाग्य घर में प्रवेश कर जाता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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