Ekadashi in auspicious coincidence: हिंदू पंचांग के मुताबिक अगहन महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने 8 दिसंबर शुक्रवार को उत्पन्ना एकादशी है. एकादशी के इस शुभ दिन पर इस महीने तीन योग बन रहे हैं जोकि बेहद शुभ हैं. इस दिन सौभाग्य और अमृत नाम के शुभ योग बनेंगे. वहीं शुक्र, मंगल और शनि अपनी-अपनी राशियों में ही विराजमान रहेंगे. इसके साथ ही शुक्र और गुरु का भी आमना-सामना होना शुभ योग बनाएगा. 


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जो व्यक्ति इन शुभ योगों में कार्य करते हैं उनका फल दोगुना हो जाता है. इसलिए अगहन महीने की एकादशी पर श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना और उपवास अवश्य करना चाहिए. इस दिन श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप भी जरूर करना चाहिए. इससे भगवान की कृपा दृष्टि आप पर बनी रहती है. इसके साथ ही इस दिन शालिग्राम पूजन और तुलसी में जल चढ़ाकर घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए. 


क्यों चढ़ाई जाती है तुलसी? 
भगवान विष्णु के लिए अगहन महीने की एकादशी के दिन पूजा-पाठ और व्रत-उपवास किए जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करने का खास महत्व है. एकादशी के दिन शंख में दूध और केसर भरकर श्री हरि विष्णु को अर्पित करें और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. इसके बाद भगवान विष्णु को चंदन, पीले फूल, इत्र, अक्षत और सारी पूजा सामग्री चढ़ाएं. इसके बाद तुलसी पत्र अर्पित करें. फिर पीले वस्त्र से श्रंगार करके धूप-दीप जलाएं और आरती करें. 


उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने पार्थ अर्जुन को उत्पन्ना एकादशी के महत्व को समझाते हुए बताया था कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत धारण करता है उसको तीर्थ स्थानों से मिलने वाले पुण्य से भी बड़ा पुण्य मिलता है. ये व्रत दुश्मनों का नाश करके मोक्ष प्राप्ति का कारण बनता है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत श्री कृष्ण का बेहद प्रिय व्रत है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के हर पाप नष्ट हो जाते हैं. ये व्रत व्रत कर्ता के जीवन की सारी परेशानियों को दूर कर देता है. साथ ही इससे सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा सुनता और पढ़ता है उसको अश्वमेध यज्ञ जितना फल मिलता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)