नई दिल्ली. बैंकुठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi 2020) 28 नवंबर को यानी आज मनाई जा रही है. बैकुंठ चतुर्दशी  (Vaikuntha Chaturdashi) हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और भगवान शिव (Lord Shiva) की उपासना की जाती है. पुराणों के अनुसार, जो मनुष्य इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करता है, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.


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वहीं, ऐसी भी मान्यता है कि अगर बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi 2020) के दिन कोई मनुष्य अपना शरीर त्यागता है तो उसे स्वर्ग में जगह मिलती है. लेकिन क्या आप उस मंत्र के बारे में जानते हैं, जिसके उच्चारण के बिना बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा अधूरी मानी जाती है? चलिए आज हम आपको उस मंत्र के बारे में बताते हैं.


बैकुंठ चतुर्दशी पर इस मंत्र का करें उच्चारण


कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।


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मंत्र का अर्थ


हिन्दी में इस मंत्र का अर्थ है- करुणा के साक्षात् अवतार, जो अपने गले में सांपों की माला रखते हैं और शिव, जो हमेशा पार्वती के साथ मेरे हृदय में विराजमान रहते हैं, उन्हें मैं बार-बार प्रणाम करता हूं.


मंत्र का महत्व


इस मंत्र (Vaikuntha Chaturdashi Mantra) का उच्चारण भगवान विष्णु (Lord Vishu) ने भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रसन्न करने के लिए किया था. बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव एक ही रूप में रहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इसलिए पूजा में इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. इस मंत्र से आप दोनों भगवानों को प्रसन्न कर सकते हैं.


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बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि और शुभ मुहूर्त


बैकुंठ चतुर्दशी 28 नवंबर 2020 यानी शनिवार को है.
बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि की शुरुआत: 28 नवंबर को रात 10 बजकर 22 मिनट
बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि समाप्ति: 29 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक
बैकुंठ चतुर्दशी का निशीथ काल: रात को 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक


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