Vishwakarma Jayanti Puja: भगवान विश्वकर्मा ने ही भोले शंकर के लिए लंका का निर्माण किया था, जिसे उन्होंने अपने भक्त रावण को सौंप दिया था, किंतु हनुमान जी ने आग से जलाकर वहां का वास्तु ही बिगाड़ दिया, जिसका परिणाम रहा कि रावण को राक्षसों सहित मारने में प्रभु श्रीराम सफल हुए. इसी तरह महाभारत काल में जब पांडवों ने इंद्रप्रस्थ को अपनी नई राजधानी बनाया तब भगवान श्रीकृष्ण ने विश्वकर्मा जी से इसका निर्माण करने को कहा, किंतु श्रीकृष्ण के कुछ सुझाव विश्वकर्मा जी को वास्तु सम्मत नहीं लगे तो उन्होंने इसका निर्माण करने से ही मना कर दिया. दरअसल विश्वकर्मा जी का शिल्प जितना महान था, वह उतने ही सैद्धांतिक भी थे.


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यदि कोई चीज वास्तु सम्मत नहीं है तो वह नारायण को भी मना करने में नहीं हिचकते, क्योंकि वह पूरी तरह से सकारात्मक देवता हैं.


तकनीकी विषयों के ज्ञाता विश्वकर्मा जी


विश्वकर्मा जी ने भूलोक में आकर राजमहलों से लेकर आम घरों का डिजाइन तैयार किया है. विश्वकर्मा को ही सर्वप्रथम सृष्टि निर्माण में वास्तुकर्म करने वाला कहा जाता है. इंद्रलोक, स्वर्ग लोक सहित भूलोक और पाताल लोक के महलों से लेकर प्राचीनतम मंदिर, देवालय, नगर तथा ग्रामीण आवासों का निर्माता विश्वकर्मा को ही कहा जाता है. आज प्रत्येक शिल्पी, मिस़्त्री, राज, बढई, कारीगर तथा अभियंता जितने भी टेक्निकल लोग और जितनी टेक्निकल वस्तुएं हैं, सब विश्वकर्मा जी के अधीन हैं, यानी टेक्निकल एवं आर्किटेक्ट के सर्वज्ञाता हैं विश्वकर्मा जी. भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप बताए जाते हैं, कहीं दो बाहु, कहीं चार बाहु तो कहीं-कहीं पर दश बाहु तथा एक मुख, कहीं चार मुख और  कहीं पर पंचमुख.


कैसे प्रसन्न करें विश्वकर्मा जी को, कैसे मनाएं विश्वकर्मा जयंती  


विश्वकर्मा जी की उपासना में परंपरागत तरीकों का पालन करना अनिवार्य है. इस दिन उनकी उपासना के साथ ही औजारों की पूजा होती है. कारखाने, फैक्ट्री, उद्योग को सुंदर तरीके से सजाया जाता है, किंतु काम बंद रहता है. वास्तु शिल्पियों, हार्डवेयर का काम करने वाले, इलेक्ट्रीशियन, मैकेनिक का सम्मान करना चाहिए. यदि यह आपसे खुश हैं तो समझ लीजिए कि विश्वकर्मा जी भी खुश हैं. 


घरों में जो भी यंत्रिकीय वस्तुएं हैं, जैसे टूल बॉक्स, लैपटॉप को भी निकालकर सम्मान के साथ उनकी पूजा करनी चाहिए, ताकि इनका प्रयोग सदैव सफल रहे. घर का निर्माण करते समय विश्वकर्मा जी का आह्वान करते हुए भूमि का पूजन तो किया ही जाता है, साथ में उसे बनाने वाले कारीगरों, श्रमिकों का भी तिलक करते हुए सम्मान करना चाहिए और उनको दक्षिणा भी देनी चाहिए. जब नए मकान या फैक्ट्री का उद्घाटन करते हैं तो उसके शिल्पकारों और आर्किटेक्ट को भी आमंत्रित करके सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना चाहिए.


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