Secret of Aatma and Pret in Garuda Puran: जिसने भी जन्म लिया है, उसका एक दिन मरना तय है. यह विधि का विधान है, जिसे आज तक कोई नहीं बदल सका है. लेकिन जब कोई मरता है तो क्या उसकी आत्मा नए शरीर में तुरंत चली जाती है या फिर उसे इंतजार करना पड़ता है. कैसे कोई आत्मा प्रेत बन जाती है. एक दिन भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के मन में ऐसे ही अनेक सवाल उठे. उन्होंने हिचकिचाते हुए प्रभु से पूछा कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर के बाहर कैसे जाती है? प्रेत की योनि कौन प्राप्त करता है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं? 


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मुस्करा उठे त्रिलोकीनाथ


उनके सवाल सुनकर त्रिलोकीनाथ मुस्करा उठे. भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्तर दिया, मृत्यु के बाद आत्मा कई मार्गों से शरीर के बाहर जाती है. वह आंख, नाक या त्वचा पर स्थिर रंध्रों से बाहर निकल जाती है. ज्ञानियों की आत्मा मस्तिष्क के ऊपरी सिरे से बाहर निकलती है. वहीं पापियों की आत्मा उसके गुदा द्वार से बाहर निकल जाती है (ऐसा पाया गया है कि कई लोग मृत्यु के समय मल त्याग करते हैं). ये सब आत्मा के शरीर से बाहर निकलने के मार्ग हैं.


पृथ्वी पर कब तक रहती है आत्मा?


अयोध्या दर्शन एक्स हैंडल के मुताबिक, भगवान ने आगे कहा, शरीर को त्यागने के बाद सूक्ष्म शरीर (आत्मा) घर के अंदर कई दिनों तक रहता है. अग्नि में 3 दिनों तक और घर में स्थित जल में 3 दिनों तक. जब मृत व्यक्ति का पुत्र 10 दिनों तक मृत व्यक्ति के लिए उचित वैदिक अनुष्ठान करता है तब मृत व्यक्ति की आत्मा को दसवें दिन एक अल्पकालिक शरीर दिया जाता है जो अंगूठे के आकार का होता है. इस अल्पकालिक शरीर के रूप में वह आत्मा दसवें दिन यमलोक के लिए प्रस्थान करता है. तीन दिनों बाद अर्थात तेरहवें दिन वह यमलोक पहुंच जाती है.


यमलोक में चित्रगुप्त जीव के सभी कर्मो का लेखा यमराज को प्रस्तुत करते हैं. उसके आधार पर यमराज जीव के लिए स्वर्गलोक या नरकलोक तय करते हैं. जीव अपने कर्मो के अनुसार स्वर्ग या नरक लोक में रहता है और फिर उसके बाद वह पृथ्वी पर पुनः एक नए शरीर के रूप में जन्म लेता है.


प्रेत योनि में कौन भेजे जाते है?


कुछ मनुष्य जो कुछ विशेष प्रकार का कर्म करते हैं वे यमराज द्वारा वापस पृथ्वी पर प्रेत योनि में भेजे जाते हैं जिसमे वे एक निश्चित समय तक रहते हैं. ऐसे कर्म करने वाले लोग प्रेत योनि प्राप्त करते हैं.


  • विवाह के बाहर किसी से शारीरिक संबंध बनाना.

  • धोखाधड़ी या किसी की संपत्ति हड़प करना.

  • आत्म हत्या करना.

  • अकाल मृत्यु: जैसे किसी जानवर द्वारा या किसी दुर्घटना में मारा जाना आदि (अकाल मृत्यु स्वयं मनुष्य के कुछ विशेष कर्मो के कारण प्राप्त होते हैं)


किसी को क्यों मिलती है प्रेत योनि? 


जब कोई जीव मनुष्य शरीर धारण करता है तो उसके कर्मो आदि के अनुसार उसका एक समय तक पृथ्वी पर रहना अपेक्षित होता है. यमराज जब मनुष्य के सभी कर्मो की समीक्षा करते हैं और उसमे यह पाते हैं कि जीव उस अपेक्षित समय से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो गया तब उस जीव को बाकr समय के लिए प्रेत योनि में व्यतीत करना पड़ता है. मान लें कि किसी मनुष्य का जीवन 60 वर्षों का बनता था, लेकिन उसने 45 साल में आत्महत्या कर ली, वैसी स्थिति में उसे 15 सालों तक प्रेत योनि में व्यतीत करना पड़ेगा.


कैसी होती है प्रेत योनि?


प्रेत योनि एक सूक्ष्म शरीर होता है. प्रेत योनि में निवास करते समय मनुष्य की सभी इच्छाएं वैसी ही होती हैं, जैसी कि उसके मनुष्य शरीर रहते हुए थी. प्रेत योनि में वह सभी कुछ करना चाहता है लेकिन कर नहीं पाता क्योंकि उसके पास भौतिक शरीर नहीं होता. जब प्रेत योनि में उसका समय समाप्त हो जाता है जितना कि मनुष्य के रूप में उसे पृथ्वी पर रहना था तब उस आत्मा को नया शरीर प्राप्त होता है. जो ज्यादा पाप करते हैं वह लंबे समय तक प्रेत योनि में रहते हैं जहां वे अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए तड़पते हैं.


भगवान के भक्तों का क्या होता है?


भगवान के भक्तों को मृत्यु के बाद किसी प्रकार की यातना नहीं झेलनी पड़ती. भगवान के भक्त को यमराज के दूत नहीं बल्कि भगवान के अपने दूत लेने आते हैं. भगवान के दूत उस जीवात्मा की घर के बाहर प्रतीक्षा करते हैं और बहुत आदर के साथ भगवान के धाम लेकर जाते हैं. जहां वह जन्म और बंधनों से मुक्त अलौकिक जीवन जीता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)