नई दिल्‍ली: हिंदू धर्म और ज्‍योतिष में रुद्राक्ष (Rudraksh) को बहुत पवित्र और चमत्‍कारिक माना गया है. मान्‍यता है कि रुद्राक्ष की उत्‍पत्ति भगवान शंकर (Lord Shankar) के आंसुओं से हुई है. रुद्राक्ष धारण करने से व्‍यक्ति पर भगवान शिव की कृपा रहती है. इससे व्‍यक्ति सारे संकटों से बचा रहता है और उसकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. रुद्राक्ष को विज्ञान में भी बहुत असरकारक माना गया है. इससे कई बीमारियों से बचाव होता है. कुंडली के कई दोषों को दूर करने में भी रुद्राक्ष बहुत प्रभावी है. 


हर रुद्राक्ष का अलग महत्‍व 


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रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक होते हैं. हर रुद्राक्ष का अपना अलग महत्‍व है. व्‍यक्ति को अपनी मनोकामना या जरूरत के लिहाज से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. जैसे- धन प्राप्ति के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष, सुख-मोक्ष और उन्‍नति पाने के लिए एक मुखी रुद्राक्ष, ऐश्‍वर्य पाने के लिए त्रिमुखी रुद्राक्ष आदि. लेकिन रुद्राक्ष से मिलने वाला पूरा लाभ पाने के लिए उसे विधि-विधान से धारण करना चाहिए. साथ ही कुछ बेहद जरूरी नियमों का पालन करना चाहिए. यदि रुद्राक्ष धारण करने वाला व्‍यक्ति इन नियमों के पालन में कोताही बरतता है तो भगवान शिव रूठ सकते हैं. 


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रुद्राक्ष धारण करने के बेहद जरूरी नियम 


- रुद्राक्ष को हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में पहनें. काले रंग के धागे में रुद्राक्ष धारण करना अशुभ होता है. 
- रुद्राक्ष को बहुत पवित्र माना गया है. इसे स्‍नान करके, साफ कपड़े पहनकर ही धारण करें. 
- रुद्राक्ष धारण करते समय ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. 
- रुद्राक्ष को गलती से भी गंदे हाथों से न छुएं. 
- ना तो किसी और का पहना हुआ रुद्राक्ष खुद धारण करें और ना ही अपना रुद्राक्ष किसी और को धारण करने के लिए दें. 
- रुद्राक्ष की माला 27 मनकों से कम की न पहनें और उसमें मनकों की संख्‍या विषम ही होनी चाहिए. 
- रुद्राक्ष की माला, पीले या लाल धागे में पहनें या फिर इनकी सोने या चांदी की माला बनवाकर पहनें. 
- रुद्राक्ष धारण करने वालइ लोग कभी भी नॉनवेज-शराब का सेवन न करें. ऐसा करना अनिष्‍ट को बुलावा देना है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)