Kapal Kriya in Sanatan Dharma: अंतिम संस्कार में शव के सिर पर आखिर क्यों मारा जाता है डंडा? आपको झकझोर देगी इसके पीछे की वजह
Kapal Kriya: किसी शव के अंतिम संस्कार के वक्त परिजनों को डंडे से शव का सिर तोड़ने के लिए कहा जाता है. आखिर ऐसा क्यों किया जाता है. आज हम आपको झकझोर देने वाली इसके पीछे की वजहों के बारे में आपको बताएंगे.
Why Kapal Kriya is done in Sanatan Dharma: सनातन धर्म में कुल 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है, जिसमें अंतिम और 16वां मृत्यु संस्कार है. इस संस्कार के साथ ही आत्मा इस जीवन से विदा लेकर दूसरे लोक की ओर प्रस्थान कर जाती है. किसी मृतक की अंत्येष्टि के दौरान आत्मा की मुक्ति के लिए कई सारी क्रियाएं की जाती हैं. इन्हीं में से एक क्रिया है कपाल क्रिया. इस क्रिया में अंत्येष्टि के दौरान मृतक के सिर में डंडा मारकर उसे तोड़ा जाता है. आखिर ऐसा क्यों किया जाता है. इसका अंतिम संस्कार से क्या संबंध हैं. काफी सारे लोग इस बारे में नहीं जानते होंगे. आज हम इस बारे में आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं.
आखिर मृतक की क्यों करनी चाहिए कपाल क्रिया?
असल में इसके पीछे की वजहों का वर्णन गरुड़ पुराण में किया गया है. इस पुराण में मनुष्य के अंतिम संस्कार और उसके बाद आत्मा के गमन के बारे में बताया या है. गरुड़ पुराण के अनुसार 2 बड़ी वजहों से प्रत्येक मृतक की कपाल क्रिया (Kapal Kriya) करनी चाहिए. पहली वजह ये है कि मृतक की आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्त करने के लिए इस विधि का इस्तेमाल किया जाता है.
आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाने के लिए
जब किसी परिवार में परिजन की मृत्यु होने पर घरवालों को कपाल क्रिया करने के लिए कहा जाता है तो वे बहुत दुखी होते हैं और सोचते हैं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. लेकिन सनातन धर्म में इसे बहुत जरूरी माना गया है. कपाल (Kapal Kriya) यानी सिर की खोपड़ी तोड़ देने से आत्मा इस जन्म की स्मृतियों को अगले जन्म में नहीं ले जा पाती. जिससे वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर स्वर्ग की ओर गमन कर जाती है. इससे उस आत्मा को मोक्ष मिलने का मार्ग प्रशस्त होता है.
तांत्रिकों के दुरुपयोग से बचाने के लिए
कपाल क्रिया करने की दूसरी बड़ी वजह मृतक की खोपड़ी को कपाल क्रिया (Kapal Kriya) में इस्तेमाल होने से बचाना होता है. बहुत सारे तांत्रिक और अघोरी अपनी साधना के लिए साबुत कपाल यानी खोपड़ी की तलाश में रहते हैं. वे ऐसा कपाल मिलने पर गलत कार्यों के लिए उसका इस्तेमाल करते हैं, जिससे मृतक की आत्मा को कष्ट पहुंचता है और उसे मुक्ति नहीं मिल पाती. साथ ही घर वालों के जीवन में भी अनिष्ट होने शुरू हो जाते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)