Gundicha Temple: हिंदू धर्म प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा का विशेष महत्व है. हर साल आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ 3 सुसज्जित रथों में सवार होकर गुंडीचा मंदिर जाते हैं. इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए और तीनों पवित्र रथों को खींचने के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु आते हैं. इस साल 7 जुलाई से यह रथ यात्रा शुरू हो गई है. सबसे पहले दिन में भगवान जगन्‍नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां रथों में विराजमान की गईं. इसके बाद सोने की झाड़ू से रास्‍ते की सफाई की गई. फिर शाम से रथों को खींचना शुरू किया गया. 


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गुंडीचा मंदिर में विशेष तैयारियां 


भगवान जगन्‍नाथ का स्‍वागत करने और उनके ठहरने के लिए गुंडीचा मंदिर में विशेष तैयारियां की जाती हैं. इसके लिए इंद्रद्युम्न सरोवर से जल लाकर मंदिर की सफाई की जाती है. मंदिर की विशेष सजावट की जाती है. फिर भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर गुंडीचा माता मंदिर में आते हैं और 7 दिन तक ठहरते हैं. यहां उन्‍हें खूब पकवान बनाकर खिलाए जाते हैं. 


फिर भी बीमार पड़ जाते हैं भगवान 


पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान जगन्‍नाथ अपनी मौसी के घर पर भाई-बहन के साथ पहुंचते हैं तो वहां खूब पकवान खाते हैं और फिर वह बीमार पड़ जाते हैं. उसके बाद उनका इलाज किया जाता है. फिर जब भगवान स्वस्थ हो जाते हैं, इसके बाद वे भक्‍तों को दर्शन देते हैं. साथ ही यात्रा के 11 वें दिन वापस जगन्‍नाथ मंदिर लौटते हैं. 


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...इसलिए मनाया जाता है जगन्नाथ रथ यात्रा उत्‍सव 


भारत में जगन्‍नाथ रथ यात्रा उत्‍सव की धूम अलग ही होती है, जिसे देखने के लिए देश-दुनिया से लोग आते हैं. पुरी ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों में भगवान जगन्‍नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है. अब इस रथ यात्रा के पीछे की वजह भी जानते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार बहन सुभद्रा ने अपने भाइयों से नगर देखने की इच्‍छा जताई. तब भगवान जगन्‍नाथ और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं. इसी दौरान वे अपनी गुंडीचा मौसी के घर भी जाते हैं. तब से ही जगन्‍नाथ रथ यात्रा निकालने की परंपरा है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)