Mandi को क्यों कहा जाता है “छोटी काशी”? क्या है इसके पीछे का रहस्य, जानें
Mandi ko Choti Kashi kyu Kaha Jata hai: हिमाचल प्रदेश पर्वतीय स्थल है जहां पर हर साल घूमने के लिए कई लोग देश-विदेश से आते हैं. इसी के बीच में मंडी स्थित है जहां से आप सुंदर-सुंदर पहाड़ियों का आनंद ले सकते हैं. मंडी को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है.
Why Mandi Known as Choti Kashi: हिमाचल प्रदेश में स्थित मंडी अभी फिलहाल चर्चाओं का हिस्सा बना हुआ है. दरअसल बीजेपी ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी से उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के सोशल मीडिया अकाउंट से कंगना को लेकर विवादित पोस्ट किया गया. जिस पर कंगना ने कहा कि मंडी के बारे में इतनी भद्दी टिप्पणी करना कष्टदायक है. कंगना कहती हैं कि मंडी को छोटी काशी कहा जाता है. इसके चलते आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मंडी को छोटी काशी क्यों कहा जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य क्या है.
मंडी को क्यों कहते हैं छोटी काशी?
हिमाचल प्रदेश पर्वतीय स्थल है जहां पर हर साल घूमने के लिए कई लोग देश-विदेश से आते हैं. इसी के बीच में मंडी स्थित है जहां से आप सुंदर-सुंदर पहाड़ियों का आनंद ले सकते हैं. मंडी को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है. इसका कारण है कि यहां पर 81 प्राचीन मंदिर मौजूद हैं. इन मंदिरों में अधिकतर मंदिर भगवान शिव के हैं. कथाओं के अनुसार मंडी रियासत पर राज करने वाले राजाओं की भगवान शिव के प्रति अटूट आस्था रही है. इसके चलते यहां राजाओं ने शिव मंदिरों का निर्माण करवाया था. समय के साथ-साथ इस जगह को शिवभूमि छोटी काशी के नाम से जाना जाने लगा.
मंडी के प्रमुख शिवमंदिर
मंडी में स्थित शिव मंदिरों के दर्शन करने के लिए लोग देश विदेश से आते हैं. मंडी में एकादश रूद्र, अर्धनारिश्वर, त्रिलोकीनाथ, पंचवक्त्र, नीलकंठ महादेव, बाबा भूतनाथ, महामृत्युंज्य प्रमुख शिव मंदिर माने जाते हैं.
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खास रूप से मनाई जाती है शिवरात्रि
मंडी में इतने सारे शिव मंदिरों स्थित होने के कारण यहां शिवरात्रि खास रूप से मनाई जाती है. शिवरात्रि की ये परंपरा राजोंओं के जमाने से चली आ रही है. शिवरात्रि के दौरान यहां बड़ी संख्या में शिव भक्त आते हैं और मंदिरों में दर्शन पूजा करते हैं. यहां कि खास बात ये है कि शिवरात्रि केवल एक दिन नहीं बल्कि 8 दिनों तक लगातार मनाई जाती है. शिवरात्रि को यहां पर्व के तौर मनाया जाता है और लोगों को इसका पूरे साल से इंतजार रहता है.