तीन साल पहले एक रहस्यमय सिग्नल आया, उसके 15 मिनट बाद हुआ धरती का सबसे बड़ा धमाका; अब पता चला
Tonga Eruption 2022 News: आज से लगभग तीन साल पहले, धरती अब तक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट से दहल उठी थी. वैज्ञानिकों को पता लगा है कि उस विस्फोट से कुछ मिनट पहले एक रहस्यमय सिग्नल मिला था.
Science News in Hindi: जनवरी 2022 में, वैज्ञानिकों ने अभी तक का सबसे शक्तिशाली विस्फोट दर्ज किया. यह धमाका प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग में स्थित टोंगा नाम के ज्वालामुखी द्वीप में हुआ था. वहां का एक भूमिगत ज्वालामुखी जिसे हंगा टोंगा-हंगा हापाई कहते हैं, 15 जनवरी 2022 को हिंसक तरीके से फट गया. यह धमाका इतना तेज था कि अंतरिक्ष से साफ-साफ देखा गया. अब वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि टोंगा विस्फोट से कुछ मिनट पहले ही एक रहस्यमय सिग्नल प्राप्त हुआ था. ज्वालामुखी से काफी दूर स्थित दो मॉनिटरिंग स्टेशनों ने धमाके से कोई 15 मिनट पहले एक सीस्मिक लहर दर्ज की थी.
टोंगा में धमाका कैसे हुआ था?
स्टडी के लेखकों ने इस लहर को टोंगा विस्फोट का 'भूकंपीय अग्रदूत' करार दिया. यह लहर और धमाका, दोनों ही ज्वालामुखी की काल्डेरा दीवार के नीचे समुद्री परत के एक कमजोर हिस्से के ढहने के कारण पैदा हुए. रिसर्चर्स के मुताबिक, इस दरार के चलते समुद्री पानी और मैग्मा, दोनों समुद्रतल और ज्वालामुखी के भूमिगत मैग्मा कक्ष के बीच के क्षेत्र में आ गए, जिससे भयानक विस्फोट हुआ.
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दरार की वजह से एक 'रेले वेव' भी पैदा हुई जो एक तरह की एकाउस्टिक तरंग है जो ठोस सतह पर चलती है - इस मामले में, पृथ्वी की सतह. 15 जनवरी, 2022 को ज्वालामुखी विस्फोट से 15 मिनट पहले, लगभग 750 किलोमीटर (466 मील) दूर से इस तरंग का पता लगाया गया था.
पहली बार धरती पर देखा गया ऐसा विस्फोट
टोंगा के ज्वालामुखी में दिसंबर 2021 से ही हलचल होने लगी थी. 14 जनवरी को भी एक बड़ा विस्फोट हुआ था और अगले दिन सारे रिकॉर्ड टूट गए. 15 जनवरी के दिन जो धमाका हुआ, वह ज्वालामुखीय विस्फोट के पैमाने पर सबसे भयावह विस्फोटों में से एक था. यह धमाका 79 ई. में माउंट वेसुवियस और 1980 में माउंट सेंट हेलेन्स जैसे ऐतिहासिक विस्फोटों के बराबर था.
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टोंगा विस्फोट की वजह से 10 क्यूबिक किलोमीटर ज्वालामुखीय पदार्थ निकला और हवा में 146 मिलियन मीट्रिक टन भाप छोड़ी. यह विस्फोट सैकड़ों परमाणु बमों के बराबर था. इससे अभी तक देखी गई सबसे तेज पानी के नीचे की धाराएं भी पैदा हुईं. यह स्टडी Geophysical Research Letters में छपी है.