पहले अंडा आया या मुर्गी? वैज्ञानिकों ने खोज निकाला दिमाग घुमाने वाली इस पहेली का जवाब
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पहले अंडा आया या मुर्गी? वैज्ञानिकों ने खोज निकाला दिमाग घुमाने वाली इस पहेली का जवाब

Chicken or Egg Paradox Solution: इस दुनिया में पहले अंडा आया या मुर्गी? हजारों साल से इंसान को परेशान कर रहे इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने दे दिया है.

पहले अंडा आया या मुर्गी? वैज्ञानिकों ने खोज निकाला दिमाग घुमाने वाली इस पहेली का जवाब

Science News in Hindi: पृथ्वी पर जीवन के विकास को लेकर एक नई स्टडी में बड़ी बात पता चली है. वैज्ञानिकों के अनुसार, जीवन ने भ्रूण निर्माण की क्षमता शायद पहले प्राणियों के विकास से भी पहले विकसित कर ली थी. यह खोज भ्रूण जैसे दिखने वाले 600 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों से जुड़ी लंबे समय से चली आ रही वैज्ञानिक बहस पर भी नई रोशनी डाल सकती है. चौंकाने वाली यह स्टडी जिनेवा विश्वविद्यालय के बायोकेमिस्ट मैरीन ओलिवेटा के नेतृत्व में चली. वैज्ञानिकों की इस टीम का कहना है कि उथले समुद्र के नीचे कीचड़ में रहने वाला एक एककोशिकीय जीव प्रजनन करते समय आश्चर्यजनक रूप से जानवरों के भ्रूण जैसा हो जाता है.

अंडा या मुर्गी? नई खोज ने क्या बताया

यह जीव एक इचथियोस्पोरियन माइक्रोब है जिसे क्रोमोस्फेयरा पर्किन्साई (Chromosphaera perkinsii) कहा जाता है. Chromosphaera perkinsii को 2017 में हवाई की समुद्री तलछट में खोजा गया था. यह जिस तरह से यह खुद को बांटता है, वह काफी हद तक भ्रूण कोशिका विभाजन की प्रक्रिया जैसा है. यह जीव एक अरब सालों से भी अधिक समय से मौजूद है, यानी धरती पर पहले प्राणियों के उद्भव से भी बहुत पहले से.

Chromosphaera perkinsii का अस्तित्व बताता है कि जीवन ने अंडों से पहले ही अंडों के लिए प्रोग्रामिंग विकसित कर ली थी. नई खोज से उस पहेली का जवाब मिलता है कि पहले अंडा आया या मुर्गी. 'नेचर' पत्रिका में छपी स्टडी कहती है कि प्रकृति के पास 'मुर्गियों का आविष्कार' करने से बहुत पहले ही 'अंडे बनाने' के लिए आनुवंशिक उपकरण मौजूद रहे होंगे.

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स्टडी के पहले लेखक मरीन ओलिवेटा बताते हैं, 'यह दिलचस्प है, हाल ही में खोजी गई एक प्रजाति हमें एक अरब साल से भी पहले के समय में जाने की अनुमति देती है. अध्ययन से पता चलता है कि या तो भ्रूण विकास का सिद्धांत जानवरों से पहले मौजूद था, या सी. पर्किन्साई में बहुकोशिकीय विकास तंत्र अलग से विकसित हुआ.' यह खोज बहुकोशिकीयता की कुछ पारंपरिक अवधारणाओं को चुनौती दे सकती है.

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