Science News: वैज्ञानिकों ने जम्मू-कश्मीर के पंपोर से हाथियों के जीवाश्मों की खोज की है. तीन से चार लाख साल पुराने ये जीवाश्‍म भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन मनुष्यों द्वारा जानवरों के वध के सबसे पुराने सबूत हैं. इससे पहले, उपमहाद्वीप पर मनुष्यों द्वारा पशुओं का वध करने का सबसे पुराना सबूत 10,000 वर्ष पुराना था. इन जीवाश्मों पर आधारित दो रिसर्च पेपर Quaternary Science Reviews और Journal of Vertebrate Paleontology में छपे हैं.


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रिसर्चर्स को पंपोर से हाथी की हड्डी के टुकड़े मिले हैं, जिससे पता चलता है कि शुरुआती मनुष्यों ने अस्थि मज्जा निकालने के लिए उन्हें मारा होगा. दुनिया के बाकी हिस्सों से मिले सबूतों से पता चला है कि इस ऊर्जा से भरे, वसायुक्त ऊतक को प्राचीन मनुष्यों द्वारा सैकड़ों हज़ारों सालों से खाया जाता रहा है.


अब तक नहीं मिले थे बड़े जानवरों को खाने के सबूत


भारतीय उपमहाद्वीप पर अब तक केवल एक ही जीवाश्म मानव पाया गया है. 'नर्मदा मानव' 1982 में मध्य प्रदेश में पाया गया था. यह जीवाश्म 50,000-160,000 साल पुराना है. पहली स्टडी के को-ऑथर और फ्लोरिडा म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में क्यूरेटर, अद्वैत जुकार ने कहा, 'हो सकता है लोगों ने ध्यान से न देखा हो या गलत जगह ढूंढ रहे हों, लेकिन अब तक भारत में मनुष्यों द्वारा बड़े जानवरों को खाने का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है.'


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यह संभव है कि मानवों ने हाथियों को मार डाला हो, या फिर उनके साथ इनके शव आ गए हों. जुकार ने पूछा, 'तो, सवाल यह है कि ये होमिनिन (मानव) कौन हैं? वे इस भू-भाग पर क्या कर रहे हैं और क्या वे बड़े शिकार के पीछे जा रहे हैं या नहीं? अब हम निश्चित रूप से जानते हैं, कम से कम कश्मीर घाटी में, ये होमिनिन हाथियों को खा रहे थे. जुकार दूसरे रिसर्च पेपर के प्रमुख लेखक है.


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