Black Hole News: एस्ट्रोनॉमर्स ने अंतरिक्ष में अनोखे 'ब्लैक होल ट्रिपल' का पता लगाया है. केंद्रीय ब्लैक होल एक छोटे तारे को निगल रहा है और एक दूसरा तारा उस ब्लैक होल की परिक्रमा करने में लगा है.
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Science News in Hindi: ब्लैक होल को ब्रह्मांड की सबसे रहस्यमय चीजों में यूं ही नहीं गिना जाता. हर नई खोज ब्लैक होल के रहस्य में इजाफा ही करती है. अभी तक वैज्ञानिकों को जितने ब्लैक होल मिले हैं, उनमें से अधिकतर बाइनरी सिस्टम में मिले हैं. यानी, उनमें एक ब्लैक होल होता है और दूसरा पिंड कोई तारा या कहीं अधिक घना न्यूट्रॉन स्टार या एक और ब्लैक होल रहता है. ये बाइनरी सिस्टम एक-दूसरे के चारों ओर घूमते हैं और ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण द्वारा एक साथ खींचे जाते हैं. यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने 'ब्लैक होल ट्रिपल' सिस्टम की खोज की है. इसमें ब्लैक होल तो है ही, साथ में एक नहीं दो पिंड है. यह नया सिस्टम पृथ्वी से लगभग 8000 प्रकाश वर्ष दूर है.
नए खोजे गए 'ब्लैक होल ट्रिपल' में एक केंद्रीय ब्लैक होल है. यह ब्लैक होल अपने पास नाच रहे एक छोटे तारे को निगल रहा है. हैरान करने वाली बात यह है कि ब्लैक होल के पास एक और सितारा नजर आ रहा है, लेकिन यह पहले वाली की तुलना में काफी दूर है. वैज्ञानिकों ने 23 अक्टूबर को 'नेचर' पत्रिका में छपी स्टडी में इस खोज के बारे में बताया है.
एक ब्लैक होल के जाल में फंसे दो तारे
इस ब्लैक होल का नजदीकी तारा सिर्फ 6.5 दिनों में उसकी परिक्रमा कर लेता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दूसरा तारा हर 70 हजार साल में ब्लैक होल का एक चक्कर लगाता है. यह दूसरा तारा ब्लैक होल से काफी दूर होने के बावजूद उसके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में है, इससे ब्लैक होल की उत्पत्ति को लेकर ही सवाल खड़े हो गए हैं.
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कैसे बना यह ब्लैक होल?
वैज्ञानिकों को लगता है कि ब्लैक होल सुपरनोवा (मरते हुए तारे में होने वाले हिंसक धमाके) से बनते हैं. सुपरनोवा के दौरान, कोई तारा आखिरी बार भारी मात्रा में ऊर्जा और प्रकाश उत्सर्जित करता है और फिर एक अदृश्य ब्लैक होल में ढह जाता है. अगर यह नया देखा गया ब्लैक होल सामान्य सुपरनोवा से बना है तो ढहने से पहले जो ऊर्जा इसने छोड़ी होगी, वह इसके बाहरी क्षेत्र में परिक्रमा कर रहे किसी भी अन्य हल्के बंधे हुए पिंड को दूर धकेल देगी. सैद्धांतिक रूप से, वह दूसरा बाहरी तारा अभी भी आसपास फंसा नहीं होना चाहिए.
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रिसर्च टीम को लगता है कि यह ब्लैक होल कहीं अधिक सौम्य प्रक्रिया के जरिए बना है जिसे 'डायरेक्ट कोलैप्स' कहते हैं. इस दौरान, एक तारा बस अपने आप में धंस जाता है और बिना किसी अंतिम नाटकीय विस्फोट के ब्लैक होल बन जाता है. इस तरह से ब्लैक होल का बनना किसी भी हल्के बंधी, दूर की वस्तुओं को परेशान नहीं करेगी. वैज्ञानिकों को लगता है कि यह नया ट्रिपल सिस्टम इस सौम्य प्रक्रिया से बनने वाले ब्लैक होल का पहला सबूत हो सकता है.