Ancient River System In Antarctica: जलवायु परिवर्तन की वजह से पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति में बड़ा बदलाव आ सकता है. अंटार्कटिका में भूवैज्ञानिकों की नई खोज इसी तरफ इशारा करती है. जो अंटार्कटिका आज बर्फ की मोटी चादर के लिए जाना जाता है, कभी वहां पर कल-कल नदियां बहती थीं. आज से लगभग चार करोड़ साल पहले तक अंटार्कटिका में एक नदी सिस्टम मौजूद था.


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पश्चिमी अंटार्कटिका में बर्फ की विशालकाय चादर में खुदाई के दौरान इस नदी सिस्टम के अवशेष मिले. कोई चार करोड़ साल पहले तक, पृथ्वी पर कहीं भी बर्फ नहीं थी. आज से 34 मिलियन से 44 मिलियन वर्ष पहले, पृथ्वी के वायुमंडल में भारी परिवर्तन हुआ. जैसे-जैसे कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर गिरा, ग्लोबल कूलिंग ने ग्लेशियरों के निर्माण को रफ्तार दी. अंटार्कटिक क्षेत्र की नदियां भी जम गईं.


अतीत से भविष्य तक...


5 जून को Science Advances जर्नल में छपी स्टडी हमें जलवायु परिवर्तन को लेकर आगाह करती है. कैसे जलवायु परिवर्तन पूरे ग्रह को ही बदल सकता है, उसका संकेत इस स्टडी से मिलता है. लाइव साइंस से बातचीत में, स्टडी के को-ऑथर जोहान क्लाजेस ने बताया, 'यदि हम भविष्य में संभावित गंभीर जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचते हैं, तो हमें पृथ्वी के इतिहास में उस दौर से सीखना होगा, जब ऐसा पहले भी हो चुका है.'


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150-200 साल में बन सकते हैं वैसे हालात!


वैज्ञानिक अब यह जानने में लगे हैं कि अंटार्कटिका में यह घटना कैसे हुई होगी. आज मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन की वजह से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है. जिस समय धरती पर ग्लेशियरों के निर्माण में तेजी आई, उस समय CO2 की मात्रा आज की तुलना में लगभग दोगुनी थी. हालांकि, क्लाजेस ने कहा कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का स्तर बढ़ता रहा तो यह 150 से 200 वर्षों में अनुमानित स्तर के बराबर हो सकता है.