आइंस्टीन को अपने सबसे मशहूर सिद्धांत का आइडिया कहां से आया? यह कहानी आप नहीं जानते होंगे
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आइंस्टीन को अपने सबसे मशहूर सिद्धांत का आइडिया कहां से आया? यह कहानी आप नहीं जानते होंगे

Einstein's General Theory of Relativity: अल्बर्ट आइंस्टीन 1905 में ही सापेक्षता का विशेष सिद्धांत दे चुके थे. लेकिन उनका मास्टरपीस अभी आना बाकी था. आखिर आइंस्टीन के दिमाग में 'सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत' कहां से कौंधा?

आइंस्टीन को अपने सबसे मशहूर सिद्धांत का आइडिया कहां से आया? यह कहानी आप नहीं जानते होंगे

Einstein's Theory and Gravity: भौतिकी के क्षेत्र अल्बर्ट आइंस्टीन ने कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए. उनके तमाम सिद्धांत 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं लेकिन आधुनिक भौतिकी का आधार बने हुए हैं. इनमें से एक है- विशेष सापेक्षता का सिद्धांत. वह रिसर्च पेपर आइंस्टीन ने 1905 में प्रकाशित किया था. विशेष सापेक्षता हमें यह बताती है कि गति का द्रव्यमान और स्थान पर क्या असर होता है.

आइंस्टीन के इसी सिद्धांत में प्रकाश की गति (c) के आधार पर ऊर्जा (e) और पदार्थ (m) के बीच संबंध को दर्शाया गया है. आइंस्टीन के अनुसार, द्रव्यमान की छोटी मात्रा (m) ऊर्जा की विशाल मात्रा (E) के साथ इंटरचेंज हो सकती है. यह उनके क्लासिक समीकरण E = mc² द्वारा परिभाषित किया गया है. लेकिन आइंस्टीन का यह सिद्धांत 'विशेष' मामलों में ही लागू होता है.

इस सिद्धांत के अनुसार, स्पेस और टाइम अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं, लेकिन यह गुरुत्वाकर्षण के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता. आइंस्टीन अपने इस सिद्धांत में गुरुत्वाकर्षण को भी शामिल करने का तरीका ढूंढने में जुट गए.

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ऑफिस में बैठे-बैठे आइंस्टीन को आया आइडिया

1907 में एक दिन, बर्न के पेटेंट ऑफिस में बैठे-बैठे आइंस्टीन ने सोचा कि घर पेंट करता हुआ व्यक्ति अगर छत से गिर जाए तो उसे गुरुत्वाकर्षण का कैसा अनुभव होगा. कल्पना की यह उड़ान शाम होते-होते ऐतिहासिक मौके में बदल चुकी थी. आइंस्टीन ने बाद में उसे अपना 'सबसे खुशी वाला पल' कहा. आइंस्टीन का मानना था कि उस पेंटर को जमीन की ओर तेजी से बढ़ते समय भारहीनता का अहसास होगा.

बस यही तो चाहिए था... आइंस्टीन ने इसी आधार पर तर्क दिया कि गुरुत्वाकर्षण और त्वरण बराबर होने चाहिए. इस विचार को 'समतुल्यता सिद्धांत' कहते हैं.  आइंस्टीन का यह विचार वह बीज था जो अगले नौ साल में उनके मास्टरपीस यानी - सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत - के रूप में सामने आया. इस नए सिद्धांत ने आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान की नींव रखी.

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सामान्य सापेक्षता के अनुसार, स्पेसटाइम एक 4-आयामी (4D) वस्तु है जिसे एक समीकरण का पालन करना होता है, जिसे आइंस्टीन समीकरण कहा जाता है, जो बताता है कि पदार्थ किस प्रकार स्पेसटाइम को कर्व करता है. सामान्य सापेक्षता गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या करती है.

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