Biggest Explosion In Universe: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने ब्रह्मांड का एक और राज बेपर्दा कर दिया है. 9 अक्टूबर, 2022 को समूचा ब्रह्मांड रोशनी से नहा उठा था. दुनिया भर में फैले टेलीस्कोप्स ने वह दुर्लभ नजारा कैद किया. चमक इतनी ज्यादा थी कि कुछ सौ सेकेंड तक सारे गामा-रे डिटेक्टर अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच गए थे. यह रोशनी पृथ्वी से 2.4 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर धनु नक्षत्र से आई थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, वह बिग बैंग के बाद अंतरिक्ष में हुआ सबसे ताकतवर विस्फोट था. गामा-किरणों के महाविस्फोट से अंतरिक्ष जगमग था. उस विस्फोट को B.O.A.T. यानी Brightest Of All Time कहा गया था. जेम्स वेब टेलीस्कोप ने उस B.O.A.T. विस्फोट की गुत्थी सुलझा दी है. अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में चली रिसर्च के मुताबिक, B.O.A.T. एक विशाल तारे के ढहने और विस्फोट के चलते हुआ था. मरते हुए तारों में ऐसे धमाके को सुपरनोवा कहते हैं.


सबसे चमकीला गामा-रे विस्फोट लेकिन सुपरनोवा फीका


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अमेरिकी वैज्ञानिक 2022 के गामा-किरण विस्फोट (GRB) के दौरान क्या हुआ, उस पर तवज्जो नहीं दे सके. उस समय की सारी तस्वीरें बेहद चमकदार हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों का ध्‍यान यह जानने पर था कि धमाके के बाद क्या हुआ. स्टडी के अगुवा रहे डॉक्टर पीटर ब्लैकार्ड ने कहा, 'GRB इतना चमकीला था कि धमाके के शुरुआती कुछ महीनों में कोई सुपरनोवा सिग्नेचर नजर ही नहीं आया. GRB के बाद का ऑफ्टरग्लो ऐसा था जैसे किसी गाड़ी की हेडलाइट्स सीधे आपकी ओर आ रही हो, कार गाड़ी दिखे ही नहीं. सुपरनोवा देखने के लिए हमें चमक के थोड़ा फीका पड़ने का इंतजार करना पड़ा.'


अब तक का सबसे चमकीला गामा-किरण विस्फोट (Photo : NASA/SWIFT/University of Leicester)

हर 10,000 साल में सिर्फ एक बार धरतीवासी देख पाते हैं ऐसी घटना


रिसर्च टीम ने विस्फोट की इन्फ्रारेड वेवलेंथ पर नजर गड़ाई. इससे उन्हें कैल्शियम और ऑक्सीजन का पता लगाने में मदद मिली. ये दोनों तत्व सुपरनोवा के क्लासिक सिग्नेचर हैं. अमेरिकी रिसर्चर्स यह देखकर हैरान रह गए कि सुपरनोवा उतना चमकील नहीं था, जितना गामा-किरण विस्फोट डॉ ब्लैकार्ड के मुताबिक, 'यह पिछले सुपरनोवा से ज्यादा चमकीला नहीं था. आपको लग सकता है कि जब एक तारा इतना चमकीला गामा-किरण विस्फोट कर रहा है तो उसका सुपरनोवा भी बेहद चमकदार होना चाहिए. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ.' उन्होंने कहा कि 2022 जैसी घटना पृथ्‍वी पर 10 हजार सालों में एक ही बार देखने को मिलती है.


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वैज्ञानिकों को पहले लगा था कि सोना और प्लेटिनम जैसे भारी तत्व किसी बड़े, तेजी से घूमते तारे के मरने पर बनते होंगे. ताजा रिसर्च ने यह साफ कर दिया कि ऐसा नहीं होता. ब्रह्मांड की यह गुत्थी वैज्ञानिकों को अब भी सुलझानी है.