Antarctica's Blood Falls mystery: अंटार्टिका के खूनी झरने की गुत्थी वैज्ञानिकों ने सुलझा ली है. यहां मौजूद टेलर ग्लेशियर से खून का झरना दशकों से बह रहा है. वैज्ञानिक इस खून का झरना बहने की वजह का पता अब जाकर लगा पाए हैं. 112 साल पहले 1911 में पहली बार ब्रिटेन के कुछ खोजकर्ताओं ने अंटार्कटिका के टेलर ग्लेशिर पर खून का झरना बहते देखा था. एक सदी पहले अनोखा नजारा देखकर लोग हैरान और दंग रह गए थे. वहीं यहां पर तो दूसरी दुनिया के जीवों की मौजूदगी की अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन अब खुलासा हो चुका है कि खूनी झरने के पीछे का रहस्य क्या है.


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'ग्लेशियर का यह खून नमकीन सीवेज'


खूनी झरना पूर्वी अंटार्कटिका के विक्टोरिया लैंड (Victoria Land) पर है. अब जाकर इसके निकलने की वजह पता चली है. ये खून ये बताता है कि इस ग्लेशियर के नीचे जिंदगी पनप रही है. ग्लेशियर का यह खून नमकीन सीवेज है, जो एक बेहद प्राचीन इकोसिस्टम का हिस्सा है. जैसे जैसे विज्ञान ने तरक्की की तो सुविधाएं बढ़ीं फिर वैज्ञानिक उसके और नजदीक पहुंचे. उन्होंने सैंपल की जांच की और बताया उसका स्वाद नमकीन है जिस तरह खून का होता है. ये जगह खतरों से भरा हुई थी जहां जाने का मतलब जान जोखिम में डालना था. जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के सामग्री वैज्ञानिक केन लिवी ने कहा जैसे ही मैंने माइक्रोस्कोप छवियों को देखा, तो पाया कि ये छोटे नैनोस्फेयर थे और वो ऑयरन से समृद्ध थे और उनमें लोहे के अलावा बहुत सारे अलग-अलग तत्व थे.


दुनिया का सबसे बड़ा अंचभा


ये जगह दुर्लभ सबग्लेशियल इकोसिस्टम के बैक्टीरिया का घर है. ये बैक्टीरिया ऐसी जगह जिंदा हैं, जहां ऑक्सीजन नहीं है. इसे लेकर वैज्ञानिकों ने पहले कहा था कि खूनी झरने में लोहे के साथ-साथ सिलिकॉन, कैल्सियम, एल्यूमिनियम और सोडियम के कण भी हैं.


सबसे पहले ब्रिटिश खोजकर्ता थॉमस और उनके साथियों ने इस लाल रंग को एल्गी (Red Algae) समझा था. लेकिन ऐसा कुछ नहीं था जिसके बाद उस थ्योरी को रद्द कर दिया गया. आगे ये पता चला कि ग्लेशियर के नीचे लौह नमक (Iron Salts) यानी फेरिक हाइड्रोक्साइड (Ferric Hydroxide) है. आगे जाकर पता चला कि ग्लेशियर के नीचे कुछ सूक्ष्मजीव हैं, जिनकी वजह से खून का झरना निकल रहा है.