China Moon Mission Latest Research: चांद को लेकर वैसे चीन ने आज जो बात बताई है उसे भारत कई सालों से बताता आ रहा है. आप जानकर हैरान होंगे कि भारत के पहले मून मिशन चंद्रयान-1 ने 15 साल पहले ही इस बात के संकेत दिए थे कि चांद की मिट्टी में पानी है. लेकिन चीन अब यहां फल उगाने से लेकर खेती करने तक के सपने बुन रहा है. आपको बता दें कि यह मिट्टी चांद के उस हिस्से में है, जिस ओर अंधेरा रहता है.


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मिट्टी के सैंपल्स से पानी का पता चला!


चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चांद से लाई गई मिट्टी के सैंपल्स से पानी का पता चला है. इसके बाद चीन में चंद्रमा पर विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल और फूल उगाने की संभावना पर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. चीन ने दावा किया है कि मानव इतिहास में पहली बार उन्हें चांद पर जो मिट्टी मिली है उसमें अलग तरह के मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर है. 


चांद के लिए दुनिया के देशों में तेज हुई जंग


वैज्ञानिकों ने बताया है कि पानी के मॉलिक्यूल्स चांद के ऊंचाई वाले इलाकों के साथ उन क्षेत्रों में मौजूद है, जहां पर सूरज की रोशनी पड़ती है. यानी यहां जीवन की संभावनाएं बन सकती हैं. अब यह कितना सच हो पाएगा, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन इतना सच है कि अब चांद पर बस्ती बसाने के लिए दुनिया के देशों में वार और तेज हो जाएगी. 


इस रेस में अमेरिका, रूस, यूरोपीयन स्पेस एजेंसी, चीन, भारत और जापान बड़े खिलाड़ी हैं. लेकिन चंद्रमा के जिस हिस्से पर पानी की संभावना जताई जा रही है, उसकी जंग केवल भारत और चीन के बीच सिमटी हुई है. भारत ने पिछले साल चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में पहले प्रयास में ही अपना रोवर उतार दिया था. 


अंधेरे हिस्से में भारत ने उतारा था पहला यान


यह उपलब्धि हासिल करने वाला वह दुनिया का पहला देश रहा है. इस दौरान भारतीय रोवर ने एक हफ्ते तक वहां पर रहकर चांद की मिट्टी से कई नमूने हासिल किए और जिससे वहां पर पानी की मौजूदगी का पता चला था. अपना काम खत्म करके रोवर प्रज्ञान लंबी नींद में सो गया. 


अब चीन ने चंद्रमा के उसी अंधेरे हिस्से की मिट्टी के विश्लेषण के आधार पर वहां जीवन होने का अनुमान लगाया है. यह और कुछ नहीं बल्कि भारतीय खोज का ही विस्तार है. अब चीन का दावा कितना सच साबित होता है, यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा लेकिन इतना तय है कि मून अब पृथ्वी के देशों की राजनीति का नया अखाड़ा बनने वाला है.