नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या इसके बाद भी हर साल Vaccine लगवानी पड़ेगी? नए वैरिएंट्स के सामने आने के ​साथ वैज्ञानिकों और मेडिकल प्रोफेशनल्स में भी ये चिंता बढ़ती जा रही है कि कोरोना वैक्सीन कितनी कारगर होगी.


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कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड वैक्सीन से मिलने वाली इम्युनिटी एक निश्चित समय के बाद खत्म हो जाती है. यही वजह है ​कि कोविड वैक्सीन के बूस्टर्स को लेकर भी चर्चा चल रही है. वहीं कुछ लोग ये भी जानना चाहते हैं कि अगर वैक्सीन की इम्युनिटी समय के साथ खत्म हो जाएगी, तो क्या उन्हें हर साल कोविड शॉट लेना पड़ेगा?


बूस्टर्स शॉट्स का ट्रायल


भारत में Bharat Biotech की Covaxin, Serum Institute की Covishield और रूस में बनी Sputnik V वैक्सीन अभी लोगों को लगाई जा रही है. ये सभी वैक्सीन दो डोज में लगाई जाती हैं. कोविडशील्ड का दूसरा डोज 12 हफ्तों के गैप के बाद लगता हे. वहीं कोवैक्सीन को 4 से 6 हफ्तों में लगा सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की स्पूतनिक-वी वैक्सीन के दोनों डोज 21 दिन के गैप पर लगाए जा सकते हैं. 


हालांकि भारत और विदेशों में वैक्सीन के बूस्टर डोज को विकसित करने पर काम चल रहा है. इजरायल और अमेरिका जैसे देशों ने Immunocompromised लोगों को वैक्सीन की तीसरी डोज देना शुरू भी कर दिया है.


क्या वैक्सीन से मिली इम्युनिटी कुछ समय तक ही रहती है?


हाल में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना संक्रमित हुए हैं. इस बात से एक्सपर्ट्स में ये चिंता बढ़ी है कि समय के साथ वैक्सीन से बनी इम्युनिटी कम होती जाती है. इसके बाद लोगों के मन ये सवाल है कि क्या बूस्टर्स रेगुलर बेसिस पर लेने होंगे? 


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क्या हर साल लेनी होगी वैक्सीन?


कोविड वैक्सीन से मिली इम्युनिटी को लेकर जहां संशय है. वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि इम्युनिटी सिस्टम को बार बार बूस्ट करने की जरूरत शायद पड़ सकती है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों का कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल्स और फाइंडिंग्स को देखें तो ऐसी वैक्सीन जो 8 महीने से लेकर एक साल तक ही एंटीबॉडीज को प्रोड्यूस करती हैं, इनके लिए कुछ महीनों के बाद बूस्टर शॉट्स की जरूरत पड़ेगी, जिससे इम्युनिटी बनी रहे.


डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि कुछ समय के बाद लोगों में हर्ड इम्युनिटी डेवलप हो जाए और फिर वैक्सीन की जरूरत न पड़े.


एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि अभी बूस्टर शेड्यूल पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. हालांकि वो मानते हैं कि समय के साथ हमें वैक्सीन बूस्टर की जरूरत होगी. ये ​आने वाले समय में अलग अलग नए variants of concern और इंफेक्शन के डेटा पर निर्भर करेगा. 


रेगुलर कोविड वैक्सीन और बूस्टर शॉट में अंतर


कोविड वैक्सीन बूस्टर्स, कोविड-19 वैक्सीन का एक्सटेंशन हैं. इसे थर्ड कोविड वैक्सीन डोज के तौर पर भी जाना जाता है. इनमें बस टाइम ड्यूरेशन का डिफरेंस है. बूस्टर शॉट तब दिया जाता है जब फर्स्ट राउंड वैक्सीनेशन का असर कम होने लगता है. रेगुलर कोविड वैक्सीन शॉट इसलिए दिए जाते हैं, जिससे शरीर में कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त Antibodies बन सकें.