Dark Matter Study: खगोलविदों को दशकों से एक सवाल का जवाब नहीं मिल रहा था. नई रिसर्च शायद ब्रह्मांड की उस गुत्थी को सुलझा सकती है. वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर और सुपरमैसिव ब्लैक होल्स के बीच का लिंक ढूंढ लिया है. नई रिसर्च में 'फाइनल पारसेक प्रॉब्लम' का एक हल सामने रखा गया है. यह स्टडी Physical Review Letters जर्नल में छपी है.


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पिछले साल, रिसर्चर्स की एक इंटरनेशनल टीम ने ग्रेविटेशनल वेव्स के बैकग्राउंड 'हम' का पता लगाया. उनका अंदाजा था कि यह बैकग्राउंड सिग्नल लाखों सुपरमैसिव ब्लैक होल्स की जोड़ियों के विलय से पैदा हो रहा है. किसी सुपरमैसिव ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य से हजारों गुना से लेकर करोड़ों-खरबों गुना तक हो सकता है. लेकिन, थ्‍योरी के मुताबिक, सुपरमैसिव ब्लैक होल्स के बीच ऐसा विलय होना ही नहीं चाहिए.


क्या है 'फाइनल पारसेक प्रॉब्लम'?


पारसेक, लंबाई की एक इकाई है. इसका इस्तेमाल सौरमंडल के बाहर मौजूद खगोलीय पिंडों की बड़ी दूरी को मापने के लिए किया जाता है. एक पारसेक लगभग 3.26 प्रकाश वर्ष या 206,265 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स (AU) के बराबर है. यानी एक पारसेक में 30.9 ट्रिलियन किलोमीटर होते हैं.


जोड़ियों में ब्लैक होल्स को देख पाना बेहद मुश्किल है, इसलिए वैज्ञानिक थियोरेटिकल सिमुलेशंस के जरिए उनकी डायनैमिक्स समझते आए हैं. मॉडल्स दिखाते हैं कि जैसे-जैसे सुपरमैसिव ब्लैक होल के जोड़े एक दूसरे के करीब आते हैं, वे ऊर्जा छोड़ते हैं. शुरुआत में, वह ऊर्जा गैस और धूल जैसी आस-पास की सामग्री में ट्रांसफर होती है. लेकिन जब वे काफी करीब आ जाते हैं, तो ब्लैक होल से ऊर्जा लेने के लिए कोई भी पदार्थ नहीं बचता यानी वे अपने आस-पास के सभी पदार्थों को अवशोषित या फैला चुके होते हैं.


इसे 'अंतिम पारसेक समस्या' के नाम से जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सिमुलेशन के अनुसार, ब्लैक होल एक पारसेक की दूरी पर ही रुक जाते हैं. फाइनल पारसेक प्रॉब्लम न केवल विलय हो रहे विशालकाय ब्लैक होल के ग्रेविटेशनल वेव बैकग्राउंड का सोर्स होने पर शक पैदा करती है, यह उस सिद्धांत की भी विरोधाभासी है कि विशालकाय ब्लैक होल, छोटे ब्लैक होल के विलय से बनते हैं.


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नई रिसर्च ने हमें क्या बताया?


स्टडी के को-ऑथर गोंजालो अलोंसो-अल्वारेज ने कहा, 'हमने दिखाया है कि डार्क मैटर के पहले से नजरअंदाज किए गए प्रभाव को शामिल करने से सुपरमैसिव ब्लैक होल्स को सेपरेशन (पृथक्करण) के इस अंतिम पारसेक को पार करने और एकजुट होने में मदद मिल सकती है.' अल्वारेज के मुताबिक, 'हमारी गणना यह स्पष्ट करती है कि ऐसा कैसे हो सकता है, जो पहले सोचा गया था उसके विपरीत है.'


पिछले मॉडलों ने दिखाया है कि जब सुपरमैसिव ब्लैक होल एक-दूसरे से एक पारसेक के भीतर आ जाते हैं, तो वे अपने आस-पास के डार्क मैटर क्लाउड या हेलो के साथ इंटरैक्ट करना शुरू कर देते हैं. घूमते हुए ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण बल डार्क मैटर को दूर फेंक देते हैं, जिसका मतलब है कि ब्लैक होल से ऊर्जा स्थानांतरित नहीं हो सकती और उनके बीच की दूरी कम होना बंद हो जाती है. हालांकि, नए मॉडल में डार्क मैटर कणों और ब्लैक होल जोड़ी के बीच इंटरेक्शन को शामिल किया गया है.


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नए मॉडल से फाइनल पारसेक प्रॉब्लम का संभावित हल तो मिलता ही है, इससे डार्क मैटर के बारे में अहम जानकारी भी मिल सकती है. डार्क मैटर को ब्रह्मांड का 80% पदार्थ समझा जाता है, लेकिन अब तक इसे सीधे तौर पर नहीं डिटेक्ट किया गया है.