Zombie Virus Revives in Siberia: साइबेरिया (Siberia) के बर्फीले क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने 48500 साल पहले मर चुके खतरनाक 'जॉम्बी वायरस' (Zombie Virus) को जिंदा करके दहशत फैला दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी कोरोना का वायरस (Coronavirus) दुनिया से पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है ऐसे में इस खतरनाक वायरस के बारे में ये कहा जा रहा है कि ये वायरस अगर लोगों में फैला तो इंसान दूसरे इंसान का मांस खाने लगेगा. हालांकि दावा ये भी किया जा रहा है कि यह वायरस पूरी तरह से नियंत्रित है और इसका इंसानों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा.


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48500 साल पहले खत्म हो गया था 'जॉम्बी वायरस'


आपने साइंस फिक्शन मूवी में जॉम्बी का कॉन्सेप्ट देखा होगा. उस मूवी में जॉम्बी वायरस की चपेट में आने के बाद लोग दूसरे इंसानों का मांस खाने और उनका खून पीने लगते थे. ऐसे में अगर आपको ये लगता है कि ये सब मनुष्यों की कोरी कल्पना यानी फिक्शन है तो शायद आप गलत साबित हो सकते हैं. दरअसल, साइंटिस्ट्स ने ऐसे ही एक जॉम्बी वायरस को जिंदा कर दिया है जिसके चपेट में आने के बाद लोग दूसरे इंसान का मांस खाने लगेंगे. 'ब्लूमबर्ग' में प्रकाशिक एक रिपोर्ट के मुताबिक ये जानलेवा वायरस 48500 साल पहले बर्फ में दबकर खत्म हो गया था.


रहस्यों की खदान है साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट


रुस, फ्रांस और कनाडा के साइंटिस्ट कई दशकों से साइबेरिया के इस हिस्से में रिसर्च कर रहे हैं. ये वैज्ञानिक यहां मौजूद पर्माफ्रॉस्ट की टेस्टिंग करते हैं. उनकी इसी टेस्टिंग के दौरान जो वायरस मिला है, वो जॉम्बी वायरस हो सकता है. यहां प्रयोगों के दौरान अक्सर ऐसे जीवाश्म मिलते हैं जो कई सदियों से इस दुनिया में नहीं है. इसी इलाके से कुछ दिन पहले 3500 साल पहले बर्फ में दबा एक भालू मिला था जिसका शरीर पूरी तरह से सुरक्षित था. वहीं उससे भी पहले यहीं साइबेरिया में 28000 साल पुराने शेर का सुरक्षित शरीर मिला था जिसके बारे में कहा जा रहा था कि जीव वैज्ञानिक इसे वापस जिंदा करेंगे


जॉम्बी हुआ जिंदा


इस खोज की बाात करें तो फ्रांस के मार्सेल्ले यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर जीन मिशेल क्लावेरिए के हाथ अब जॉम्बी वायरस लग गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें से कुछ को प्रोफेसर ने पुनर्जीवित कर दिया है. जिस वायरस को 48500 साल पुराना जॉम्बी वायरस बताया जा रहा है वो बर्फ में 16 मीटर की गहराई में दबा था. हालांकि, फ्रांसीसी प्रोफेसर जीन का दावा है कि इन वायरस को इस तरह से जिंदा किया गया है कि वो इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा. इसके बावजूद लोगों की चिंता खत्म नहीं हुई है, क्योंकि अगर गलती से भी ये वायरस इंसानों पर रियेक्ट कर गया, तो तबाही मच सकती है ऐसे में लोगों ने साइबेरिया में ऐसे रिसर्च पर बैन लगाने की मांग की है.


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