बीजिंग: शोधकर्ताओं ने कहा है कि जीन-एडिटिंग (जीन में बदलाव) से गुजरने वाले लोगों, जिनमें चीन की एक जुड़वां बहनें भी शामिल थीं, का जीन उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) संभवत: इस तरह से किया गया है कि उनकी मृत्यु कम उम्र में ही होने की आशंका है. अनुसंधानकर्ताओं ने इसे ‘‘बेहद खतरनाक’’ और ‘‘बेवकूफाना’’ करार दिया है. पिछले साल चीनी शोधकर्ता प्रोफेसर हे जियानकुई ने उस वक्त दुनिया को चौंका दिया जब उन्होंने जुड़वां बच्चियों को आनुवंशिक तौर पर बदल दिया ताकि उन्हें जानलेवा ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) से संरक्षण प्रदान करने की कोशिश की जा सके.


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इस प्रयोग को लेकर देश-विदेश में हुई व्यापक आलोचना के बाद जियानकुई को किसी भी वैज्ञानिक गतिविधि में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था. पिछले साल नवंबर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उप-मंत्री शू नैनपिंग ने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाला और अस्वीकार्य है .’’ उन्होंने कहा कि जियानकुई की हरकत चीन के कानून एवं नियमन का घोर उल्लंघन है और इसने शैक्षणिक नैतिकता एवं नीतिगत मूल्यों का उल्लंघन किया है.


बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीन एडिटेड जुड़वां लड़कियों पर ‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में दिखाया गया है कि जियानकुई ने जिन लोगों के प्राकृतिक उत्परिवर्तन में बदलाव करने की कोशिश की, उनकी कम उम्र में मृत्यु की आशंका अधिक है. विशेषज्ञों ने कहा, ‘‘प्रोफेसर हे जियानकुई की हरकतें बहुत खतरनाक और बेवकूफाना थीं .’’