Science News: सिंधु घाटी सभ्यता अपनी शहरी व्यवस्था के लिए जानी जाती थी. आज से हजारों साल पहले, वहां पानी की सप्लाई से लेकर ड्रेनेज की समुचित व्यवस्था थी. सिंधु घाटी सभ्यता का समयकाल 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक माना जाता है. आखिरी इतनी समृद्ध व्यवस्था अचानक कैसे नष्‍ट हो गई? एक नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की है.


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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (IITM), पुणे के रिसर्चर्स के मुताबिक, सिंधु घाटी सभ्यता जलवायु कारकों की वजह से नष्ट हुई. अपनी स्टडी में उन्होंने कहा कि जलवायु से जुड़े ये फैक्टर काफी कुछ आज के मॉनसून को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स जैसे थे. जलवायु कारकों का परस्पर प्रभाव ही शायद 4,000 वर्ष पहले लंबे सूखे के कारण सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का कारण बना.


सिंधु घाटी सभ्यता के अंत पर रिसर्च


IITM के रिसर्चर्स ने दक्षिण भारत में गुप्तेश्वर और कडप्पा गुफाओं से प्राचीन गुफा संरचनाओं (स्पेलियोथेम्स) का एनालिसिस किया. स्टडी से पता चला कि किस प्रकार कम सौर विकिरण, एल नीनो, इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस जोन (ITCZ) का दक्षिण की ओर प्रवास, तथा हिंद महासागर डिपोल (IOD) के नकारात्मक चरण ने सामूहिक रूप से मॉनसून को कमजोर कर दिया. इसी वजह से प्राचीन सभ्यता का पतन हुआ. उनकी रिसर्च के नतीजे Quaternary International जर्नल में छपे हैं.


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रिसर्च टीम ने प्रायद्वीपीय भारत में गुफाओं में जमा अवशेषों का एनालिसिस किया. उन्हें 7,000 साल पुराने जलवायु रिकॉर्ड का पता चला. इससे क्षेत्र के पिछले जलवायु परिवर्तनों के बारे में जानकारी मिली. सिंधु घाटी सभ्यता में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे प्रमुख शहर थे. साथ-साथ धोलावीरा, लोथल और राखीगढ़ी जैसी बस्तियां भी शामिल थीं.


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