गर्व की बात: दस वैज्ञानिकों को भारत में शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की विश्व रैंकिंग में मिली जगह
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किए गए एक विस्तृत विश्लेषण में देशभर में फैले विभिन्न नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के दस वैज्ञानिकों को भारत में शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की विश्व रैंकिंग (World Ranking) में जगह मिली है.
नई दिल्ली: भारत के वैज्ञानिकों (Scientists) को विश्व रैंकिंग में जगह मिलना भारत के लिए गर्व की बात है. हमारे देश के वैज्ञानिकों को विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में स्थान दिया गया है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किए गए एक विस्तृत विश्लेषण में देशभर में फैले विभिन्न नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के दस वैज्ञानिकों को भारत में शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की विश्व रैंकिंग (World Ranking) में जगह मिली है.
1 लाख से अधिक वैज्ञानिकों का डेटाबेस
स्टैनफोर्ड टीम ने दुनिया के 1 लाख से अधिक वैज्ञानिकों का एक डेटाबेस बनाया है. सूची तैयार करने में, विभिन्न वैज्ञानिक पैरामीटर्स जैसे कि उद्धरणों (Quotes) की संख्या, एच-इंडेक्स आदि को ध्यान में रखा गया है. अध्ययन में अपनाई गई विज्ञान और वर्गीकरण की विभिन्न धाराओं के लिए वर्गीकरण किया गया है. डॉ. एस.जे.एस. फ्लोरा को भी इस सूची में जगह दी गई है. वे भारत में नंबर 1 और दुनिया में 44वें स्थान पर हैं. डॉ. एस.जे.एस. फ्लोरा वर्तमान में एनआईपीईआर-रायबरेली (NIPER) के निदेशक हैं और एनआईपीईआर मोहाली में अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं.
भारतीय विज्ञान के लिए अच्छे संकेत
उन्होंने विभिन्न एनआईपीईआर (NIPER) और देश के अन्य संस्थानों के साथी वैज्ञानिकों को भी बधाई दी और कहा कि भारतीय विज्ञान वैश्विक वैज्ञानिक उत्कृष्टता का केंद्र होने के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ साल में बुनियादी ढांचे के विकास और वैज्ञानिक उपलब्धियों के मामले में देश के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं. डॉ. फ्लोरा ने कहा कि इस सूची में युवा वैज्ञानिकों की उपस्थिति भारतीय विज्ञान के लिए बहुत अच्छा संकेत है.
NIPER रायबरेली 2008 में स्थापित किया गया
बता दें कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPER), रायबरेली 2008 में स्थापित किया गया था और वर्तमान में लखनऊ में एक ट्रांजिट परिसर में चल रहा है. डॉ. फ्लोरा नवंबर 2016 में संस्थान के पहले निदेशक बने. उनके नेतृत्व में पिछले 4 वर्षों में संस्थान ने वैज्ञानिक उपलब्धियों के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है और उनमें से सबसे उल्लेखनीय है भारत सरकार द्वारा जारी NIRF, 2020 में संस्थान को 18वें पायदान पर आंका जाना.