Supernova: वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में खोजी अनोखी जगह, लोग कह रहे हैं इसे,`आकाशगंगा का कब्रिस्तान`
Milky Way: आकाशगंगा में तारे पैदा होते हैं, चमकते हैं और फिर मर जाते हैं लेकिन ये पूरी तरह खत्म नहीं होते हैं. आइए जानते हैं आखिर इन तारों का क्या होता है.
Galactic Underworld: असमान जमीन से जितना खूबसूरत दिखाई देता है. यह उससे ज्यादा रहस्यमयी है. वैज्ञानिक अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने की लगातार रिसर्च कर रहे हैं. हाल ही चीन ने दावा किया था कि उसके फास्ट टेलीस्कोप ने अंतरिक्ष से आने वाली वेब सिग्नल को रिसीव किया. कई लोगों ने उम्मीद जताई की वेब सिग्नल दूसरी दूनिया से मिल रहे हैं. स्पेस साइंस की दुनिया में एक घटना वैज्ञानिकों ने और दर्ज कि जब उनको दो अकाशगंगाएं आपस में मिलती (colloidal galaxy) हुई दिखाई पड़ी. अब एक ऐसी ही अनोखी घटना के बारे में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है.
क्या मिला है इस नए रिसर्च में?
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (Royal Astronomical Society) में छपे एक रिसर्च के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक डिजिटल मैप तैयार किया है. इस मैप को देखकर यह समझा जा सकता है कि तारे कब पैदा हुए, कितने वक्त जिंदा रहे और कब मर गए. आपको बता दें कि तारे मरने के बाद भी पूरी तरह से गैलेक्सी से गायब नहीं होते हैं बल्कि तारे मरने के बाद सुपरनोवा में बदल जाते हैं. गौरतलब है कि सुपरनोवा किसी तारे के भयंकर विस्फोट को कहते हैं. इसके बाद भी तारे के अवशेष बच जाते हैं और ये अवशेष गैलेक्सी में मौजूद होते हैं. इन्हीं अवशेषों को वैज्ञानिकों नाम दिया है,'गैलेक्टिक अंडरवर्ल्ड.'
क्या है रिसर्च की खास बात
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस डिजिटल मैप के जरिए गैलेक्टिक अंडरवर्ल्ड के रहस्यों को समझा जा सकता है. अरबों साल पहले जिन तारे ने अपनी चमक खो दी है यानी जो तारे मर चुके हैं, उनके अवशषों की स्पेस में मौजूदगी का सटीक अंदाजा लगया जा सकता है. इसी जगह को वैज्ञानिक 'आकाशगंगा का कब्रिस्तान' कह रहे हैं. इस रिसर्च और डिजिटल मैप को तैयार करने का श्रेय सिडनी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम को जाता है. इस टीम में शामिल डेविड स्वीनी (David Sweeney) बताते हैं कि अब आगे ऐसी तकनीकी को डेवलप करने पर काम किया जाएगा जिससे स्पेस से जुड़े अन्य रहस्यों को आसानी से समझा जा सके.
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