सिकुड़ रहा है सौर मंडल का यह ग्रह ! जानें- धरती पर किस तरह पड़ेगा असर
Mercury Planet: सौर मंडल में हर एक ग्रह एक दूसरे से कुछ गणितीय सूत्रों के जरिए जुड़े हैं, फर्ज करें कि धरती एक सेंकेंड के लिए रुक जाए तो क्या होगा. फर्ज करें कि सूरज अपनी तय जगह से इधर उधर स्थान में बदलाव कर ले तो क्या होगा. इन सबके बीच यह जानकारी सामने आ रही है कि सूरज के सबसे पड़ोस वाला ग्रह बुध सिकुड़ रहा है.
Mercury shirking History: सौर मंडल में कुल 9 ग्रहों में से एक मर्करी है, यह सूर्य का सबसे करीबी ग्रह है. आध्यात्मिक तौर पर मर्करी की प्रकृति को दोहरा माना गया है. इन सबके बीच खबर आ रही है क्या मर्करी के आकार में बदलाव हो रहा है. मर्करी सिकुड़ रहा है. यह ग्रह क्यों सिकुड़ रहा है इसे समझने से पहले इसकी कुछ खासियत के बारे में समझना भी जरूरी है. मसलन यहां तापमान 430 डिग्री सेंटीग्रेड तक चला जाता है, सामान्य तौर पर इंसान 50 डिग्री के तापमान को जैसे तैसे झेल पाता है. तापमान की वजह से मर्करी पर रिहाइश का होना संभव नहीं है.
इस वर्ष मिले थे साक्ष्य
1974 में नासा का एक मिशन मैरिनर 10 इसके बेहद करीब से गुजरा था और जानकारी के मुताबिक इसके आकार में कमी आई है. यह साक्ष्य पूरे ग्रह पर कई किलोमीटर-ऊंचे ढलानों के रूप में सामने आया जिन्हें स्कार्प्स कहते हैं. बुध का आंतरिक भाग सिकुड़ रहा है, इसकी सतह को कवर करने के लिए कम है और इस वजह से 'जोर दोष' विकसित होता है. रोथरी ओपन विश्वविद्यालय में ग्रहीय भूविज्ञान के प्रोफेसर डेविड ने इसे आसान तरीके से यूं समझाया है. जैसे मर्करी का आकार सेब के पुराने होने पर उस पर पड़ने वाली झुर्रियों की तरह है. पारा अपने आंतरिक भाग के तापीय संकुचन के कारण सिकुड़ जाता है.
मर्करी में सात किमी तक सिकुड़न
2014 में यह अनुमान लगाया गया था कि मर्करी करीब 7 किलोमीटर सिकुड़ चुका था। मर्करी यानी बुध पर, सतह को कवर करने वाले कई क्रेटरों को देखकर समझा जा सकता है कि यह सिकुड़न कब हुई होगी. कुछ क्रेटर ग्रह के संकुचन के कारण छोटे हो गए. वहीं स्कार्पियों के शीर्ष पर भी क्रेटर हैं, जिसका अर्थ है कि जिस प्रभाव के कारण ये हुए वह ग्रह की परत के खिसकने के बाद हुआ. इससे, खगोलविदों ने निष्कर्ष निकाला कि स्कार्पियां लगभग 3 अरब वर्ष पुरानी थीं. नए अध्ययन में टीम को सबूत मिले कि ग्रह का संकुचन अभी खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि बुध लगातार ठंडा हो रहा है।