563 क्यूबिक मील बर्फ 30 सेकंड से भी कम में पिघल गई! सैटेलाइट वीडियो में दिखा दुनिया की तबाही का प्रीव्यू
Science News in Hindi: अमेरिका और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों ने सैटेलाइट्स की मदद से ग्रीनलैंड में खतरनाक दर से पिघल रही बर्फ का मंजर दिखाया है. टाइम-लैप्स वीडियो में 30 सेकंड से भी कम समय में 563 क्यूबिक मील बर्फ पिघल गई.
Greenland Ice Melting Video: ग्रीनलैंड की बर्फ किस भयावह तेजी से पिघल रही है, सैटेलाइट्स से लिए गए टाइम-लैप्स वीडियो में खुलासा हुआ है. NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने मिलकर यह वीडियो तैयार किया है जो ग्रीनलैंड में पिछले 13 साल में बर्फ पिघलने का मंजर दिखाता है. वीडियो से पता चलता है कि बर्फ की चादर के किनारे केंद्र की तुलना में अधिक तेजी से पिघल रहे हैं, खासकर उन जगहों पर जहां ग्लेशियर समुद्र में बहते हैं. नई रिसर्च में पाया गया है कि 2010 से 2023 के बीच, ग्रीनलैंड ने 563 क्यूबिक मील (2,347 क्यूबिक किलोमीटर) बर्फ खो दी, जो अफ्रीका की सबसे बड़ी झील- विक्टोरिया झील को भरने के लिए काफी है.
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर 1998 से लगातार पिघल रही है. इसका पिघलना समुद्रों का जलस्तर बढ़ने की दूसरी सबसे बड़ी वजह है. ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलने को जलवायु परिवर्तन के सबसे गंभीर नतीजों में से एक माना जाता है. सैटेलाइट फुटेज को दिखाती नई रिसर्च 20 दिसंबर को Geophysical Research Letters जर्नल में छपी है.
कैसे सैटेलाइट्स से नापी गई ग्रीनलैंड की बर्फ?
NASA और ESA, दोनों ही ग्रीनलैंड पर खास नजर रखते हैं. NASA का ICESat-2 लेजर के जरिए धरती की सतह का माप लेता है, जबकि ESA का CryoSat-2 रडार के जरिए ऊंचाई मापता है. दोनों तरीकों के अपने नफा-नुकसान हैं और रिसर्चर्स यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि दोनों के नतीजे एक जैसे रहें और फिर सटीकता के लिए उन्हें जोड़ा जा सके.
यह भी पढ़ें: पृथ्वी चपटी है! मानने वालों के तो होश ही उड़ गए, अपनी आंखों से देखा गोल है दुनिया
ग्रीनलैंड का बर्फीला इलाका पृथ्वी के सबसे बड़े मीठे जल भंडारों में से एक है. बर्फ की चादर 1,710,000 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है, जो ग्रीनलैंड की सतह का लगभग 80% है. हाल के दशकों में, बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर तेजी से पिघल रही है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर यह पूरी तरह पिघल जाए, तो ग्लोबल लेवल पर समुद्र का स्तर लगभग 7 मीटर तक बढ़ सकता है. जिसका नतीजा व्यापक पैमाने पर तबाही के रूप में सामने आएगा- तटीय क्षेत्रों में बाढ़, लाखों लोगों का विस्थापन और कृषि व पेयजल स्रोतों का संकट.