Pompeii Disaster Victims: पोम्पेई, प्राचीन रोमन साम्राज्य (आधुनिक इटली) का एक प्रमुख बंदरगाह शहर था. 79 ई. में माउंट वेसुवियस फटा और पूरा शहर उसके गुबार मे दब गया. मरने वाले कई लोगों के शरीर के चारों ओर जमी राख ने उनके सड़ने के बाद भी उनकी शारीरिक रूपरेखा को संरक्षित रखा. अभी तक उनसे 104 प्लास्टर कास्ट बनाए गए हैं, जो तबाही के शिकार हुए पीड़ितों के आखिरी पलों की कहानी कहते हैं. पोम्पेई के कई संरक्षित शव ऐतिहासिक धरोहर हैं और दुनियाभर में पहचाने जाते हैं. लेकिन उनके डीएनए पर आधारित एक नई स्टडी ने पीड़ितों की पहचान और रिश्तों के पारंपरिक विचारों को उलट दिया है.


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नई स्टडी पोम्पेई के मशहूर प्लास्टर कास्ट के अंदर की हड्डियों से निकाले गए डीएनए के एनालिसिस पर आधारित है. कई देशों के वैज्ञानिकों की टीम ने 14 कास्ट को एनालाइज किया और नतीजों ने सबको चौंका दिया है. यह स्टडी Current Biology जर्नल में छपी है. DNA एनालिसिस की कमान इटली के फ्लोरेंस यूनिवर्सिटी की फॉरेंसिक आर्कियोलॉजिस्ट एलेना पिल्ली के हाथों में थी.


पोम्पेई के खंडहरों में गले मिलते हुए दो व्यक्ति. दोनों को अब तक महिला माना जाता रहा, DNA से पता चला कि एक पुरुष था. (Archaeological Park of Pompeii)

पोम्पेई के पीड़ितों के बारे में बनी-बनाईं धारणाएं टूटीं 


हार्वर्ड प्रोफेसर डेविड रीच इस स्टडी के लेखक हैं. वह बताते हैं, 'यह खोज हुई कि एक वयस्क व्यक्ति जो सोने का कंगन पहने हुए है और एक बच्चे को पकड़े हुए है, जिसे पारंपरिक रूप से मां और बच्चे के रूप में बताया जाता है, वे वयस्क पुरुष और बच्चा थे. दोनों का आपस में कोई संबंध नहीं था. इसी तरह, एक जोड़ी व्यक्तियों को बहनें, या मां और बेटी माना जाता है, उनमें कम से कम एक जेनेटिक रूप से पुरुष पाया गया.'


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पोम्पेई में जो जहां था, वहीं पर जम गया


वेसुवियस के विस्फोट के समय पोम्पेई पर गिरे ज्वालामुखी पदार्थ ने एक तरह की फ्लैश जीवाश्मीकरण प्रक्रिया के रूप में काम किया. बेहद गर्म तरल मरने वाले लोगों पर और उनके आस-पास गिरा, फिर जम गया. जब शव नष्ट हो गए, तो उन्होंने राख के पीछे खोखले निशान छोड़ दिए. 19वीं शताब्दी में खंडहरों की फिर से खोज की गई.


पोम्पेई में मिले शवों की कास्ट बनाने के लिए उन खोखले निशानों में प्लास्टर डाला गया. लेकिन शवों के आकार ही एकमात्र चीज नहीं थी जिसे संरक्षित किया गया. पीछे छोड़ी गई हड्डियों को भी प्लास्टर में सील कर दिया गया था. अब 150 साल बाद, आधुनिक तकनीक की मदद से उनके बारे में काफी कुछ पता चला है.


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