पोप फ्रांसिस ने पर्यावरण पर अपने ऐतिहासिक 2015 पोप-परिपत्र को जारी किया. इसमें उन्होंने वैश्विक नेताओं को चेताया है और बाध्यकारी लक्ष्यों के जरिये जलवायु परिवर्तन की गति को धीमी करने का आह्वान किया है. पोप ने परिपत्र में चेताया है कि तेजी से गर्म होती पृथ्वी बहुत तीव्र गति से ऐसे बिंदु के निकट पहुंच रही है जहां से ‘वापसी करना मुश्किल’ है. फ्रांसिस ने कहा कि अब तक हुए इस भारी नुकसान को रोकने में दुनिया असमर्थ है. उन्होंने कहा कि हमारे पास आगे होने वाली अधिक भयानक क्षति को रोकने के लिए समय भी बहुत कम है.


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क्लाइमेट चेंज पर साझी सोच जरूरी


प्रेज गॉड असीसी के सेंट फ्रांसिस समारोह के मौके पर जारी किया गया और इसका उद्देश्य वार्ताकारों को दुबई में होने वाली संयुक्त राष्ट्र की वार्ता के अगले दौर में बाध्यकारी जलवायु लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए प्रेरित करना था.पोप ने लोगों और ग्रह को पहले से ही हो रहे नुकसान के बारे में चेताया. उन्होंने अफसोस जताया कि एक बार फिर, दुनिया के गरीब और सबसे कमजोर लोगों को इसकी सबसे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. सटीक वैज्ञानिक आंकड़ों, तीखे कूटनीतिक एवं धार्मिक तर्कों का उपयोग करते हुए, फ्रांसिस ने दुनिया के लिए जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर कदम बढ़ाने की अनिवार्यता पर जोर दिया. पोप फ्रांसिस ने संरचनात्मक रूप से विकृत आर्थिक प्रणाली को सही करने के लिए एक साहसिक सांस्कृतिक क्रांति का आह्वान किया.


अब नहीं चेते तो कब


उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अपने प्रयासों को और आगे बढ़ाने की जरूरत है.‘हमारी प्रतिक्रियाएं पर्याप्त नहीं रही हैं. उन्होंने उन आंकड़ों का हवाला दिया जिनमें कहा गया है कि औद्योगिक क्रांति के बाद से और विशेष रूप से पिछले 50 वर्ष में उत्सर्जन और वैश्विक तापमान में तेजी से वृद्धि में हुई है. दुबई में 30 नवंबर से शुरू होने वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के अगले दौर से पहले इस परिपत्र को जारी किया गया. वर्ष 2015 के ऐतिहासिक पेरिस समझौते में दुनिया के देश वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने और तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने पर सहमत हुए थे. फ्रांसिस ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पेरिस लक्ष्य का उल्लंघन होगा और जल्द ही तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जायेगा. उन्होंने कहा कि इसके प्रभाव पहले से ही स्पष्ट हैं क्योंकि महासागरों का तापमान बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं और दुनिया में रिकॉर्ड गर्मी और प्रतिकूल मौसम की घटनाएं दर्ज की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं से निपटने के लिए दुनिया को महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में होने वाले और नुकसान को रोक जा सके.