Research on Earth: आपने पौराणिक कहानियों में 'पाताल लोक' का जिक्र कई बार सुना होगा. उन कहानियों की मानें तो 'पताल लोक' एक ऐसी जगह है जहां पर आसुरी शक्तियां रहती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि अब 'पाताल लोक' सिर्फ कहानी का हिस्सा नहीं रहा क्योंकि गहरी रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने पाताल लोक तक पहुंचने की कोशिश की है. कई जगहों पर इस बात का जिक्र है कि अगर धरती की सतह से नीचे की एक गहरा गड्ढा खोदा जाए तो हम पाताल लोक तक पहुंच सकते हैं. कुछ ऐसा ही कारनामा वर्तमान समय में वैज्ञानिकों ने किया है. रिसर्च को जमीन से लगभग 100 मील नीचे एक चट्टान की परत मिली थी जो पूरी तरह से पिघली हुई थी. अब तक यह पहली बार है जब रिसर्चर्स जमीन के इतने नीचे तक पहुंच सके हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह परत एस्थेनोस्फीयर के नीचे है.


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एस्थोनोस्फीयर धरती के काफी नीचे है जो बहुत कमजोर परत है और यह हमेशा मूव करती रहती है. रिसर्चर बताते है कि एस्थोनोस्फीयर की स्टडी करने से हमें काफी कुछ जानकारियां मिल सकती हैं. रिसर्चर्स की मानें तो इसके अध्ययन से हमें टेक्टोनिक प्लेट्स में मूवमेंट का पता लगेगा, इसके अलावा इस बात की भी गणना की जा सकती है कि भविष्य में कब-कब भूकंप आ सकता है. वर्तमान समय में इस बात का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है कि भूकंप कब और कहां आएगा, फिर भी भूकंप के लिहाज से धरती को अलग-अलग रेंज में बांटा गया है.


धरती के नीचे मिली चिपचिपी और तरल चीज का अध्ययन करके यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के रिसर्चर्स ने बताया इसका दायरा काफी बड़ा है. अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया कि इसका 44% हिस्सा प्लैनेट को घेरे हुए हो सकता है. इससे जुड़ी स्टडी को नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित किया गया है. जमीन के नीचे इस लेयर का अध्ययन कर यह पता लगाया जा सकता है कि बस में भविष्य में आने वाले भूकंप की स्थिति क्या हो सकती है.


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