World's First Nuclear Clock: वैज्ञानिकों ने ऐसी घड़ी बना ली है तो अरबों साल तक सही समय बताती रहेगी. यह घड़ी इतनी सटीक होगी कि अरबों साल चलने पर भी पलभर का अंतर नहीं आएगा. अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने दुनिया की पहली न्यूक्लियर घड़ी का प्रोटोटाइप बना लिया है. पहली नाभिकीय घड़ी बनाने में थोरियम नाभिक की क्वांटम ऊर्जा अवस्थाओं के बीच के मापन का उपयोग किया गया है. न्यूक्लियर घड़ियां, एटॉमिक घड़‍ियों से भी सटीक साबित होंगी.


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वैज्ञानिकों ने स्ट्रोंटियम एटॉमिक क्लॉक को थोरियम नाभिक युक्त क्रिस्टल के साथ जोड़कर उस मूल तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है जो हमें पहली न्यूक्लियर क्लॉक तक ले जाएगी. वह मील का पत्थर - जिस तक पहुंचना अभी बाकी है - बेहद सटीक समय-निर्धारण का एक नया क्षेत्र खोलेगा. ऑस्ट्रियन, जर्मन और अमेरिकी रिसर्चर्स की खोज के नतीजे Nature पत्रिका में छपे हैं.


एक सेकेंड भी मिस नहीं होगा!


US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी (NIST) और JILA (NIST और कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी के एक संयुक्त अनुसंधान संस्थान) में फिजिसिस्ट जुन ये के मुताबिक, वैज्ञानिक पहली न्यूक्लियर घड़ी बनाने के बेहद करीब हैं. प्रोफेसर जुन ये ने कहा, 'एक ऐसी रिस्ट वॉच की कल्पना करें जिसे अरबों साल तक चालू रखने पर भी एक सेकंड भी नहीं खोएगा.'


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किसी परमाणु का नाभिक पूरे परमाणु से लगभग 100,000 गुना छोटा होता है. फिजिक्स में दशकों से यह सिद्धांत है कि नाभिक के ऊर्जा स्तरों पर नजर रखने से और भी सटीक घड़ी मिल सकती है, लेकिन अभी तक इसे हासिल करना मुश्किल रहा है. क्योंकि नाभिक की ऊर्जा अवस्था को बदलने में इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा अवस्था को बदलने की तुलना में बहुत अधिक ऊर्जा लगती है. ऐसा पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने इस दिशा में सफलता हासिल की है.


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एटॉमिक घड़ी vs न्यूक्लियर घड़ी


एटॉमिक घड़ियां खास लेजर आवृत्तियों के संपर्क में आने पर विभिन्न ऊर्जा स्तरों के बीच इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा छलांग को माप कर काम करती हैं. हालांकि, एक न्यूक्लियर घड़ी परमाणु के नाभिक के भीतर ऊर्जा छलांग का पता लगाकर समय को मापती है, जहां प्रोटॉन और न्यूट्रॉन कसकर पैक होते हैं.


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