योहानेस केप्लर का नाम आपने विज्ञान की किताबों में जरूर पढ़ा होगा. 400 साल से भी ज्यादा पहले, केप्लर ने ही ग्रहों की गति के नियम विकसित किए थे. वह एक शानदार खगोलविज्ञानी थे जिन्होंने सूर्य की गति पर भी नजर रखी. 1607 में केप्लर ने कैमरा ऑब्स्क्युरा की मदद से सूर्य को कई बार देखा और फिर चित्र बनाए. वह चित्र आज भी हमारे काम आ रहे हैं. उनके चित्र अद्भुत रूप से सटीक थे. इनसे खगोलशास्त्रियों को यह पता लगाने में मदद मिली कि सूर्य अपने 11-वर्षीय चक्र में कहां पर है. केप्लर के स्थान और सौर धब्बों के स्थान को ध्यान में रखते हुए, रिसर्चर्स की एक टीम ने पहचान की है कि सूर्य सौर चक्र-13 के अंत के करीब है.


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योहानेस केप्लर एक जर्मन गणितज्ञ थे जिनका जन्म 1571 में हुआ था. आकाशीय यांत्रिकी और ग्रहों की गति की दुनिया में उनका योगदान अद्वितीय है. उन्होंने ग्रहों की गति के जो नियम तैयार किए, वे समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. ग्रहों की गति पर अपने काम के अलावा, वे मशहूर ऑब्जर्वर भी थे. केप्लर ने दूरबीन के आविष्कार से पहले सौर गतिविधि का सबसे पहला रिकॉर्ड बनाया था!


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कैमरा ऑब्स्क्युरा की मदद से बनाई सूर्य की ड्राइंग


केप्लर ने एक कैमरा ऑब्स्क्युरा का इस्तेमाल किया था जिसमें दीवार में एक छोटा सा छेद था, जिसके माध्यम से सूर्य की रोशनी को गुजरने दिया जाता था. फिर यह कागज की एक शीट पर भर जाता था जिससे देखने वाला सूर्य की छवि का अध्ययन कर सकता था. केप्लर ने इसका इस्तेमाल सूर्य की विशेषताओं को रिकॉर्ड करने और ड्राइंग बनाने के लिए किया. मई 1607 में उन्होंने जो रिकॉर्ड किया, उसे उन्होंने बुध का पारगमन समझा. बाद में पता चला कि यह बुध का पारगमन नहीं था, बल्कि सूर्य के धब्बों का एक समूह था.


केप्लर ने तब जो देखा था और अब शौकिया एस्ट्रोनॉमर जो देखते हैं, वे  सौर धब्बे या सनस्पॉट, अक्सर सूर्य पर देखे जाने वालीं अस्थायी घटनाएं हैं. ये सूर्य के वायुमंडल की दृश्यमान परत में मौजूद होते हैं जिसे फोटोस्फीयर के रूप में जाना जाता है और अपने आस-पास के वातावरण की तुलना में काले दिखाई देते हैं.


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नागोया यूनिवर्सिटी के हिसाशी हयाकावा के नेतृत्व में रिसर्चर्स की एक टीम ने केप्लर के चित्रों का एनालिसिस करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया है. इससे उन्हें उस समय की सौर गतिविधियों के बारे में नई जानकारी मिली.