सिर्फ 30 लाख साल पुराना, धरती के आगे बच्चा है यह ग्रह; वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में खोजा 'बेबी प्लैनेट'
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सिर्फ 30 लाख साल पुराना, धरती के आगे बच्चा है यह ग्रह; वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में खोजा 'बेबी प्लैनेट'

Science News in Hindi: एस्ट्रोनॉमर्स ने अब तक देखे गए सबसे युवा ग्रहों में से एक को खोज निकाला है. यह सिर्फ 30 लाख साल पुराना है यानी उम्र के मामले में पृथ्‍वी से करीब 1,500 गुना छोटा.

सिर्फ 30 लाख साल पुराना, धरती के आगे बच्चा है यह ग्रह; वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में खोजा 'बेबी प्लैनेट'

Baby Planet Discovery: वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया है जो अभी अपने शैशव काल में है. TIDYE-1b नामक यह ग्रह सिर्फ 30 लाख साल पुराना है. इसे IRAS 04125+2902 b भी कहते हैं. पृथ्‍वी की आयु 4.5 बिलियन साल आंकी जाती है. उस लिहाज से, यह 'बेबी प्लैनेट' हमारी धरती से लगभग डेढ़ हजार गुना छोटा है. TIDYE-1b पृथ्वी जितना घना नहीं है, लेकिन व्यास में लगभग 11 गुना बड़ा है. इस खोज से वैज्ञानिकों को ग्रह निर्माण के शुरुआती चरणों के बाद में अहम जानकारी मिल सकती है.

TIDYE-1b की खोज नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी (UNC) में ग्रेजुएट स्टूडेंट, मैडिसन बार्बर ने की है. उनकी स्टडी 'नेचर' पत्रिका में छपी है. बार्बर ने TIDYE-1b की खोज ट्रांजिट मेथड से की जिसमें कोई ग्रह अपने तारे के सामने से गुजरता है, इससे चमक फीकी पड़ जाती है और तारा देखने वाले के सामने आ जाता है. इस 'बेबी प्लैनेट' को NASA के TESS टेलीस्कोप की मदद से खोजा गया.

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क्यों दुर्लभ है इस नन्हे तारे की खोज?

TIDYE-1b से पहले, 10-40 मिलियन साल पुराने एक दर्जन से अधिक युवा ग्रहों की खोज ट्रांजिट मेथड से की जा चुकी है.  TIDYE-1b उन सभी से कहीं छोटा है. यह एक दुर्लभ खोज है, क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में ऐसे युवा ग्रह आमतौर पर गैस और धूल से ढके रहते हैं जिसे 'प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क' कहते हैं. यह एक मलबे का क्षेत्र होता है जो एक तारे की परिक्रमा किसी रिंग की तरह करता है, जिससे नए ग्रहों का निर्माण होता है.

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UNC में एसोसिएट प्रोफेसर एंड्र्यू मान ने कहा, 'ग्रह आमतौर पर धूल और गैस की एक सपाट डिस्क से बनते हैं, यही वजह है कि हमारे सौरमंडल में ग्रह 'पैनकेक जैसी' व्यवस्था में अलाइंड हैं. लेकिन TIDYE-1b के मामले में डिस्क झुकी हुई है, ग्रह और उसके तारे दोनों के साथ मिसअलाइंड है. यह ऐसा ट्विस्ट है जो ग्रहों के निर्माण के बारे में हमारी वर्तमान समझ को चुनौती देता है.'

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