India First Atronaut Gopi Thotakura: शौक बड़ी चीज है. यह कहावत कमर्शल पायलट गोपी थोटाकुरा पर सटीक बैठती है. भारत में जन्मे एविएटर गोपी थोटाकुरा स्पेस टूरिज्म करने वाले पहले भारतीय पर्यटक बन गए हैं. उन्होंने 5 अन्य अंतरिक्ष पर्यटकों के साथ अंतरिक्ष की सैर की. गोपीथोटाकुरा फिलहाल अमेरिका में रहते हैं. उन्होंने प्राइवेट स्पेस टूरिज्म कंपनी ब्लू ओरिजिन के एक अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी. जमीन से अंतरिक्ष तक जाने और वापस आने तक की यह उड़ान केवल 10 मिनट चली लेकिन इस दौरान वे जिंदगी भर का सबसे रोमांचक अनुभव हासिल कर गए. 


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पहले भारतीय अंतरिक्ष पर्यटक


थोटाकुरा ने ब्लू ओरिजिन के एक अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी, जो कुछ निजी अंतरिक्ष कंपनियों में से एक है जो अंतरिक्ष में जाने के इच्छुक लोगों को आनंददायक सवारी की पेशकश करती है. उड़ान भरने से लेकर लैंडिंग तक की पूरी यात्रा केवल लगभग दस मिनट तक चली, जिसके दौरान अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी से लगभग 105 किमी की अधिकतम ऊंचाई प्राप्त की. यात्रियों - उनमें से एक 90 वर्षीय अमेरिकी - को कुछ मिनटों के लिए भारहीनता का अनुभव हुआ और ऊंचाई से पृथ्वी का निरीक्षण करने का मौका मिला.


रिपोर्ट के मुताबिक अपनी इस अंतरिक्ष यात्रा में गोपी थोटाकुरा जमीन से करीब 105 की ऊंचाई पर गए, वहां पर कुछ देर रुके और फिर वहां से वापस लौट आए. इस दौरान उन्हें भारहीनता का अनुभव हुआ. उन्होंने ऊंचाई से पृथ्वी को भी निहारने का मौका मिला.  उनकी यह यात्रा स्पेस की सबसे छोटी और तेज स्पीड वाली यात्राओं में से एक थी. 


क्या होती है कर्मन रेखा?


अंतरिक्ष विज्ञानियों के मुताबिक जब कोई यान जमीन से करीब 100 किमी ऊंचाई पर कथित कर्मन रेखा को पार कर जाता है तो उसे अंतरिक्ष यात्रा कहा जाता है. कर्मन रेखा को पृथ्वी के वायुमंडल की आखिरी परत और विशाल अंतरिक्ष के शुरू होने की शुरुआत माना जाता है. इस कर्मन रेखा से नीचे उड़ने वाली चीज को एयरक्राफ्ट और ऊपर उड़ने वाले स्पेस क्राफ्ट कहा जाता है. 


थोटाकुरा की यात्रा को पूरी तरह अंतरिक्ष यात्रा के बजाय सब-ऑर्बिट स्पेस टूर कहा जा रहा है. इसकी वजह ये है कि उनके स्पेसक्राफ्ट ने कर्मन रेखा तो पार की लेकिन उसने पूरी तरह पृथ्वी के ऑर्बिट में प्रवेश नहीं किया, जिसे वास्तविक अंतरिक्ष यात्रा कहा जाता है. स्पेस टूरिज्म पर जाने वाले अधिकतर अंतरिक्ष यात्री केवल इसी ऊंचाई तक स्पेस में जाते हैं और फिर वहां से वापस लौट आते हैं. 


तेजी पकड़ रहा है स्पेस टूरिज्म


हालांकि स्पेस टूरिज्म में लगी प्राइवेट कंपनियां इससे भी लंबे स्पेस टूर का मौका देती हैं. इनमें पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा और इंटरनेशल स्पेस स्टेशन में कुछ दिन ठहरने का मौका भी शामिल है. यह स्टेशन जमीन से करीब 400 किमी ऊंचाई पर बना हुआ है और पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता रहता है. एक अमेरकी नागरिक मोटा भुगतान करके 2001 में 7 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रह चुका है. 


रिपोर्ट के मुताबिक स्पेस टूरिज्म में 2009 से लेकर 2021 तक सुस्ती का माहौल देखा गया लेकिन इसके बाद अचानक इसमें तेजी आ गई है. फिलहाल ब्लू ओरिजिन, स्पेसएक्स और वर्जिन गैलेक्टिक ने इस सेक्टर में लीड ले रखी है. इन वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन की है तो ब्लू ओरिजिन के मालिक जेफ बेजोस हैं. वहीं स्पेस एक्स के ओनर एलन मस्क हैं. 


कितने में मिलता है स्पेस टूरिज्म का टिकट?


इन स्पेस टूरिज्म पर जाना कोई आसान बात नहीं है. इसके लिए इच्छुक यात्रियों की फिटनेस जांच के बाद गहन ट्रेनिंग होती है. उन्हें कई फिजिकल और मेंटल ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है और आपात स्थिति में बचाव का प्रशिक्षण लेना होता है. इसके बाद उन्हें अंतरिक्ष में यात्रा के लिए फिट घोषित किया जाता है. 


स्पेस टूरिज्म करने के लिए केवल ट्रेनिंग ही नहीं लेनी होती बल्कि जेब भी ढीली करनी होती है. space.com वेबसाइट के मुताबिक अनुसार, वर्जिन गैलेक्टिक की ओर से स्पेस टूरिज्म के लिए करीब 3.75 करोड़ टिकट के रूप में लिए जाते हैं. वहीं इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए करीब 160 से 210 करोड़ रुपये चुकाने पड़ते हैं. नासा के एक पेपर के अनुसार अब स्पेस टूरिज्म में बढ़ते मुनाफे को देखते हुए अब स्पेसएक्स और स्पेस एडवेंचर्स जैसी कंपनियां लगभग 600 से 850 करोड़ रुपये में चंद्रमा के चारों ओर की यात्रा का ट्रैवल पैकेज बनाने पर विचार कर रही हैं.