Titan Saturn's Moon: शनि का उपग्रह 'टाइटन' असल में पृथ्वी से काफी मिलता-जुलता है. वैज्ञानिक वहां नदियां, झीलें और महासागर देखकर अचंभित रह गए. जैसे धरती पर ताजे पानी की नदियां और खारे पाने के महासागर मौजूद हैं, वैसे ही टाइटन पर भी हैं. हालांकि, पृथ्वी पर पानी मौजूद है जबकि टाइटन पर एथेन और मीथेन गैस तरल रूप में मौजूद है. टाइटन पर गैस, तरल अवस्था में इसलिए है क्योंकि उसकी सतह का औसत तापमान लगभग -179°C है.


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शनि के चंद्रमा Titan की इन खूबियों का पता न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने लगाया. वैलेरियो पोग्गियाली और उनकी टीम ने एक अलग रडार तकनीक का इस्तेमाल किया जिससे उन्हें एथेन की अतिरिक्त मात्रा का पता चला. इस टीम ने टाइटन की संरचना और उसके महासागरों का मानचित्र तैयार किया है. पोग्गियाली ने कहा, 'आप जितना उत्तर की ओर जाएंगे, समुद्र उतना ही स्वच्छ और शुद्ध होगा; उनमें मीथेन की मात्रा अधिक होगी.'


नई स्टडी के लिए, Cassini के रडार के सिग्नलों का एनालिसिस किया गया. ये सिग्नल झीलों की सतह से परावर्तित होकर लौटे. इन सिग्नलों को धरती पर लगे NASA के एंटीना की मदद से प्राप्त किया गया जिसे डीप स्पेस नेटवर्क कहते हैं.


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'टाइटन की नदियों से उठ रही हैं हवा से चलने वाली लहरें'


पोग्गियाली ने कहा कि झीलों को पानी देने वाली कई नदियों और मुहाने के नीचे की सतह खुरदरी है, जो हवा से चलने वाली लहरों का नतीजा है. उन्होंने कहा कि इससे सक्रिय ज्वार और धाराओं का संकेत मिलता है जो झीलों में पानी पहुंचाती हैं.


पोग्गियाली के मुताबिक, 'अगर आप भविष्‍य में कोई मिशन प्लान कर रहे हों तो समुद्रों की सतह पर होने वाली गतिविधि बेहद अहम हो जाती है.' पोग्गियाली और उनके साथियों ने पाया कि नदियों के झीलों तक पहुंचने से पहले उनमें कहीं ज्यादा मीथेन मौजूद थी.