James Webb Space Telescope Discoveries: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से ली गई तस्वीरों ने ब्रह्मांड के विकास से जुड़ी हमारी समझ पर सवाल खड़े कर दिए हैं. आखिरी शुरुआती ब्रह्मांड में आज जितनी विशालकाय आकाशगंगाएं कैसे मौजूद हो सकती हैं?
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Science News in Hindi: वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के जन्म के पहले अरब सालों में विशालकाय लाल आकाशगंगाएं देखी हैं. कुछ तो हमारी मिल्की वे गैलेक्सी जितनी बड़ी हैं. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की मदद से इन 'लाल राक्षस' आकाशगंगाओं का पता लगाया गया. नई खोज से पता चलता है कि शुरुआती ब्रह्मांड में तारों और आकाशगंगाओं का निर्माण जितना पहले सोचा गया था, उससे कहीं अधिक तेजी से हुआ.
'नेचर' पत्रिका में छपे एक पेपर में इन 'लाल राक्षस' आकाशगंगाओं का ब्योरा दिया गया है. ये आकाशगंगाएं JWST द्वारा शुरुआती ब्रह्मांड में देखी गई बड़ी आकाशगंगाओं में से एक हैं. ये आकाशगंगाएं ब्रह्मांड के शुरुआती कुछ सौ मिलियन सालों में बनी थीं.
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की खोजें कर रही हैरान
स्टडी के को-ऑथर और मेलबर्न की स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर, आइवो लाब्बे हैं. उन्होंने अपने पेपर में कहा, 'बिग बैंग के ठीक बाद 'असंभव' विशालकाय आकाशगंगाओं का सवाल जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की पहली तस्वीरों के बाद से ही खगोलविदों को परेशान करता रहा है. यह 100 किलोग्राम के नवजात को ढूंढ़ने जैसा है. JWST ने अब यह साबित कर दिया है कि शुरुआती ब्रह्मांड में राक्षस घूमते हैं.'
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आकाशगंगाओं के निर्माण से जुड़े वर्तमान मॉडल बताते हैं कि वे धीरे-धीरे डार्क मैटर के बड़े प्रभामंडल में बनती हैं. डार्क मैटर के गुरुत्वाकर्षण द्वारा पकड़े गए पदार्थ का केवल लगभग 20% ही तारों का निर्माण कर सकता है.
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने JWST के FRESCO सर्वे के डेटा का इस्तेमाल करते हुए 36 विशालकाय आकाशगंगाओं का एनालिसिस किया. इन्हें 'लाल राक्षस' इसलिए कहा जाता है क्योंकि धूल की अधिक मात्रा के चलते वे JWST की तस्वीरों में सुर्ख लाल नजर आती हैं. अधिकांश आकाशगंगाएं हमें शुरुआती ब्रह्मांड में आकाशगंगा निर्माण के वर्तमान सिद्धांतों का पालन करते हुए मिलीं लेकिन तीन आकाशगंगाएं एकदम अलग थीं.
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शुरुआती ब्रह्मांड के तीन बड़े 'लाल राक्षस'
एस्ट्रोनॉमर्स ने शुरुआती ब्रह्मांड में तीन ऐसी आकाशगंगाओं का पता लगाया, जिनमें तारा निर्माण की गति बाकियों के मुकाबले लगभग दोगुनी थी. लाब्बे ने कहा, 'वर्तमान मॉडल यह समझाने में नाकाम रहते हैं कि ब्रह्मांड में, बेहद शुरू में, इतने प्रभावी तरीके से तारा निर्माण कैसे हो रहा है.'