शुरू होने वाला है अंडरग्राउंड डिटेक्टर.. अब कुछ नहीं बचेगा, ब्रह्मांड के सब रहस्य निकाल लेगा चीन!
China Observatory: चीन का यह प्रोजेक्ट में बनाए जा रहे तीन डिटेक्टर्स में से एक है. बाकी दो डिटेक्टर्स अमेरिका और जापान में बन रहे हैं जो अभी निर्माणाधीन हैं. JUNO अगले साल से काम करना शुरू करेगा.
JUNO Project Neutrino: अपने अनोखे और रहस्यमयी कारनामों से चीन लगातार दुनिया को चौंकाता रहता है. इसी कड़ी में चीन एक और बड़ा कारनामा करने के नजदीक है. रिपोर्ट है कि चीन के दक्षिणी हिस्से में एक बड़े ग्रेनाइट पहाड़ के नीचे एक विशाल डिटेक्टर लगभग तैयार हो चुका है, जो रहस्यमयी भूत कण यानी न्यूट्रिनो का पता लगाएगा. जियांगमेन अंडरग्राउंड न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी JUNO जल्द ही इन छोटे-छोटे कणों का अध्ययन शुरू करेगा जो चारों ओर मौजूद हैं. न्यूट्रिनो बहुत ही हल्के कण हैं, जिन्हें खोजना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है.
असल में द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह डिटेक्टर दुनिया में बनाए जा रहे तीन ऐसे डिटेक्टर्स में से एक है. बाकी दो डिटेक्टर्स अमेरिका और जापान में बन रहे हैं, जो अभी निर्माणाधीन हैं. JUNO अगले साल से काम करना शुरू करेगा और इस क्षेत्र में तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी में है.
न्यूट्रिनो क्या हैं.. इसे भी जान लीजिए
रिपोर्ट के मुताबिक न्यूट्रिनो कण ब्रह्मांड की उत्पत्ति यानी बिग बैंग के समय से मौजूद हैं. हर सेकंड में खरबों न्यूट्रिनो हमारे शरीर के आर-पार गुजरते हैं. ये कण सूर्य जैसे सितारों से निकलते हैं और कण त्वरक में परमाणुओं के टकराने पर भी बनते हैं. हालांकि वैज्ञानिक लगभग एक सदी से इनके बारे में जानते हैं, लेकिन अब तक इन्हें पूरी तरह समझा नहीं जा सका है. JUNO प्रोजेक्ट के प्रबंधक और वैज्ञानिक काओ जून कहते हैं कि यह हमारे ब्रह्मांड का सबसे कम समझा गया कण है, और इसलिए हमें इसे गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है.
न्यूट्रिनो का पता लगाने की तकनीक क्या है..
यह सत्य है कि न्यूट्रिनो कण इतने छोटे और अदृश्य हैं कि उन्हें सीधे पकड़ पाना असंभव है. वैज्ञानिक इन्हें तब मापते हैं जब ये किसी अन्य कण से टकराते हैं, जिससे रोशनी या चार्ज कण पैदा होते हैं. चूंकि यह टक्कर बेहद दुर्लभ होती है, वैज्ञानिकों को इन्हें पकड़ने के लिए बहुत बड़े डिटेक्टर्स बनाने पड़ते हैं. चीन का $300 मिलियन का यह डिटेक्टर जमीन के 700 मीटर नीचे बनाया गया है, ताकि कॉस्मिक किरणें और अन्य विकिरण इसके परिणामों को प्रभावित न कर सकें. डिटेक्टर में एक खास तरल पदार्थ भरा जाएगा, जो न्यूट्रिनो के गुजरने पर रोशनी करेगा.
डिटेक्टर का उद्देश्य भी समझना जरूरी है..
यह डिटेक्टर न्यूट्रिनो के रहस्यमयी व्यवहार को समझने में मदद करेगा. न्यूट्रिनो तीन फ्लेवर में बदलते रहते हैं. वैज्ञानिक इन प्रकारों को उनके द्रव्यमान के अनुसार हल्के से भारी तक रैंक करना चाहते हैं. इस बदलाव को पकड़ना एक बड़ा वैज्ञानिक काम होगा. यह डिटेक्टर परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले एंटी-न्यूट्रिनो का अध्ययन करेगा. इनका विश्लेषण कर वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करेंगे कि ब्रह्मांड में पदार्थ (matter) इतना अधिक क्यों है और इसका प्रतिपदार्थ (antimatter) कहां गायब हो गया.
भविष्य के लिए क्या है तैयारी..
JUNO के अलावा, जापान और अमेरिका में दो और न्यूट्रिनो डिटेक्टर बनाए जा रहे हैं. ये 2027 और 2031 तक काम करना शुरू करेंगे और चीन के डिटेक्टर के नतीजों को अलग-अलग तकनीकों से जांचेंगे. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन खोजों से ब्रह्मांड की उत्पत्ति और उसके विकास के रहस्यों पर रोशनी डाली जा सकेगी. JUNO के प्रमुख वैज्ञानिक वांग यिफांग ने कहा कि यह परियोजना हमें भौतिकी की नई गहराई तक पहुंचाएगी और ब्रह्मांड को बेहतर समझने में मदद करेगी. Photo: AI