Study of Insects: चींटियों के ऊपर शोध करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के एक प्रोफेसर ने अपने जीवन के 30 साल लगा दिए. इस जुनूनी प्रोफेसर का नाम है डेबी कैसिल जो यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा में इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्य कर रहें हैं. डेबी कैसिल का कहना है कि चींटियों के चलने का पैटर्न उनको हमेशा से आर्श्चयचकित करता आया है.कैसिल ने आपनी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए लाल चींटियों (red ant) का एक टीला खोदा और उसे एक गैलन में रख लिया. अब वो बाल्टी में रखी चींटियों के चलने के पैटर्न को ध्यान से देखने लगे और इंसानों के हाथ से चींटियों के पैर की तुलना करने लगें.


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प्रोफेसर को क्या मिला?


इंसानी हाथों की तुलना करें तो चींटी के पैर अधिक जटिल होते हैं. चीटियों के छह पैर होते हैं. ये किसी बिल्ली के पंजे की तरह ही होते हैं. इनके पैर में मोटी और पतली स्पाइन और बाल होते हैं जो दीवारों की सतह पर चलने में इनकी मदद करते हैं. पंजे और स्पाइन चीटियों को गर्म सतह और नुकीली चीजों से बचाते हैं. इसके साथ ही इनके पैरों में एक चिपचिपा पैड पाया जाता है जिसे एरोलिया कहते हैं. यही एरोलिया इनकी चाल को बेहतर बनाता है. एरोलिया हर चींटी के पैर की नोक पर पंजों के बीच में होता है. यही पैड गुरुत्वाकर्षण के नियम को तोड़ने में उनकी मदद करता है. हेमोलिम्फ नाम का एक चिपचिपा द्रव भी इसमें मदद करता है और यह किसी पंप की तरह काम करता है.


हेमोलिम्फ पैड का काम क्या है?


हेमोलिम्फ पैड किसी पंप की तरह काम करता है जो दीवारों पर चींटियों के चिपकने में मदद करता है. जब चींटी अपने पैर ऊपर करती है तो पैर की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और हेमोलिम्फ अंदर चला जाता है और जब बाहर निकालती हैं तो पैड फिर से बाहर आ जाता है. इसका ही इस्तेमाल चींटी बार-बार करती है. चींटियां अपने पैरों को एक के बाद एक करके आगे बढ़ाती हैं. इनके छह पैरों में से तीन हवा में होती हैं और तीन जमीन पर, ऐसे करके वो आगे की ओर बढ़ती हैं.


(इनपुट: एजेंसी)


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