Smog Tower To Pure Air: सर्दियां आते ही प्रदूषण (Pollution) बढ़ने लगा है. हाल ही में दिल्ली और नोएडा के कई इलाकों में एक्यूआई  (Air Quality Index) 440 के लगभग दर्ज किया गया. ये एक्यूआई का बहुत खतरनाक स्तर होता है. सर्दियों के दिनों में हर साल नोएडा और दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सीवियर लेवल पर पहुंच जाता है. सवाल ये उठता है कि इसे कम कैसे किया जाए? न तो इन शहरों में चलने वाले वाहनों को रोका जा सकता है और न ही इंडस्ट्रीज बंद की जा सकती हैं. अगर पॉल्यूशन को कंट्रोल करना है तो स्मॉग टॉवर (Smog Tower) सबसे अच्छा तरीका है. आइए जानते हैं कि ये क्या होता है और ये टॉवर पॉल्यूशन को कैसे कंट्रोल करता है. 


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क्या है स्मॉग टॉवर?


स्मॉग टॉवर एक फिल्टर (Filter) मशीन की तरह काम करता है. ये टॉवर पानी के प्यूरीफायर की तरह ही हवा को प्यूरीफाई करता है. स्मॉग टॉवर हवा में मौजूद हानिकारक कणों को छानकर अलग कर देता है और साफ हवा को वापस वातावरण में छोड़ देता है. इस तरह से दूषित हवा साफ हो जाती है. 


स्मॉग टॉवर कैसे काम करता है?


स्मॉग टॉवर में फिल्टर के लिए कई परतें होती हैं. ये हीपा फिल्टर तकनीक के आधार पर काम करता है. भारत में स्मॉग टॉवर 24 मीटर की ऊंचाई पर हवा को अवशोषित करता है. स्मॉग टॉवर की मैक्रो और माइक्रो लेयर हवा के बारीक और मोटे कणों को छानती हैं. इसके बाद हवा से दूषित कणों को हटाकर शुद्ध हवा को 10 मीटर की ऊंचाई पर छोड़ा जाता है.  स्मॉग टॉवर 25 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से हवा को शुद्ध करता है. एक स्मॉग टॉवर 1 किलोमीटर के दायरे में दूषित हवा को साफ कर सकता है. 


स्मॉग टॉवर की संरचना 


अगर भारत की बात करें स्मॉग टॉवर की कुल ऊंचाई 24 मीटर होती है, जिसमें एक 6 मीटर ऊंची छत पर 18 मीटर की ऊंचाई वाला टॉवर लगा होता है. स्मॉग टॉवर में चारों ओर से मिलाकर कुल 40 पंखे लगे होते हैं जो दूषित हवा और सोखने और साफ करने का काम करते हैं. 


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