नई दिल्‍ली: 100 सालों से ये रहस्‍य बना हुआ था कि कांच की कीड़ा आखिर पानी पर तैरता कैसे है? कांच की कीड़ा दरअसल एक पारदर्शी कीड़ा है जिसका नाम चाओबोरस मिज है. ये दो सेमी तक लंबा होता है. 


100 साल पुराने रहस्य को सुलझाया 


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हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, जूलॉजिस्ट फिलिप मैथ्यूज ने 100 साल पुराने रहस्य को सुलझा लिया है कि चाओबोरस मिज पानी में क्यों तैर सकता है. ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मैथ्यूज के निष्कर्ष करंट बायोलॉजी में पब्‍ल‍िश्‍ड हुए हैं. 


तैरने के लिए अलग तंत्र का प्रयोग 


पारदर्शिता के कारण चाओबोरस मिज को 'फैंटम मिज' भी कहा जाता है. इस लार्वा को झीलों, तालाबों और पोखरों में देखा जा सकता है. 1911 में नोबेल पुरस्कार विजेता अगस्त क्रोग ने पाया कि चाओबोरस मिज तैरने के लिए पूरी तरह से एक अलग तंत्र का उपयोग करते हैं. दो जोड़ी आंतरिक हवा से भरे थैलों का उपयोग करके ये तैरते हैं लेकिन इसकी मिस्‍ट्री अभी तक सुलझ नहीं पाई थी कि ये कैसे संभव होता है. 


लंबे समय तक तैर सकते हैं कांच के कीड़े 


इस बारे में मैथ्यूज ने कहा, "ये विचित्र कीड़े पानी में तटस्थ रूप से तैर रहे थे. ऐसा करने में बाकी कीड़े सक्षम नहीं रहते हैं. कुछ कीड़े गोता लगाने के दौरान थोड़े समय के लिए तैर सकते हैं लेकिन चाओबोरस एकमात्र ऐसे कीड़े हैं जो बहुत लंबे समय तक तैर सकते हैं. 


जब मैथ्यूज ने टैंक से लाकर लार्वा के वायु-कोश को माइक्रोस्कोप पर रखा तो वे सूक्ष्मदर्शी को रोशन करने वाली पराबैंगनी प्रकाश के कारण नीले रंग में चमकने लगे. ये नीली चमक रेसिलिन के कारण थी. ये कीड़ों के उन हिस्सों में पाया जाने वाला पदार्थ है जो संपूर्ण रबर है और जिससे लोच पैदा होती है. ये लोच ही है, जिसकी वजह से कांच के कीड़े पानी में तैरते हैं. 


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पीएच स्‍तर को बदलकर पानी में तैरते हैं ये कीड़े 


रेसिलिन के बारे में अजीब बात यह है कि न केवल लोचदार है बल्‍क‍ि यदि आप इसे क्षारीय बनाते हैं तो यह फूल जाएगा और यदि आप इसे अम्लीय बना देंगे तो सिकुड़ जाएगा. इस तरह ये कीड़े वायु-कोश की दीवार के पीएच स्तर को बदलते हैं. वायु-कोश की दीवार रेसिलिन के प्रतिक्र‍िया की वजह से फूलती और सिकुड़ती हैं. इससे थैली का आयतन बैलेंस हो जाता है. 


मैथ्यूज ने कहा कि यह वास्तव में एक विचित्र अनुकूलन है जिसकी हमें उम्‍मीद नहीं थी. हम तो बस यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि वे बिना डूबे पानी में कैसे तैर सकते हैं. 


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