Cowpea Seeds in Space: प्रयोग के तहत लोबिया के आठ बीज भेजे गए थे. लोबिया का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह तेजी से अंकुरित होने वाले पौधों में से एक है और इसकी ग्रोथ प्रक्रिया अंतरिक्ष में अध्ययन के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
Trending Photos
ISRO space experiment: भारत के अंतरिक्ष अभियानों में इसरो ने एक और नई उपलब्धि जोड़ दी है. वैसे भी अंतरिक्ष विज्ञान में अचरज की बात हमेशा यही होती है कि वहां पृथ्वी से अलग परिस्थितियों में जीवन और विज्ञान कैसे काम करता है. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने एक अनोखा प्रयोग कर अंतरिक्ष में लोबिया के बीज अंकुरित करने में सफलता हासिल की है. यह कदम न केवल अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं का अध्ययन करेगा, बल्कि भविष्य में मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा.
क्या बताया इसरो ने?
दरअसल, इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के चौथे चरण पर भेजे गए 'पीओईएम-4' प्लेटफॉर्म में सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) स्थितियों में चार दिनों के भीतर लोबिया के बीज अंकुरित हो गए. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा किए गए इस प्रयोग को ‘कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज’ (CROPS) का हिस्सा बताया गया है. इसरो ने ट्वीट करते हुए कहा, "अंतरिक्ष में जीवन का अंकुरण! जल्द ही पत्ते निकलने की उम्मीद है."
कैसे और क्या उगाया गया?
इस प्रयोग के तहत लोबिया के आठ बीज भेजे गए थे. यह प्रयोग एक नियंत्रित पर्यावरण में किया गया, जहां बीजों को सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में विकसित होने दिया गया. लोबिया का चयन इसलिए किया गया क्योंकि यह तेजी से अंकुरित होने वाले पौधों में से एक है और इसकी ग्रोथ प्रक्रिया अंतरिक्ष में अध्ययन के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
Life sprouts iC's CROPS (Compact Research Module for Orbital Plant Studies) experiment onboard PSLV-POEM-4 successfully sprouted cowpea seeds in 4 days. Leaves expected soon. #ISRO #BiologyInSpace pic.twitter.com/QG7LU7LcRR
— ISRO (@isro) January 4, 2025
अंतरिक्ष मिशन का यह हिस्सा क्यों खास है?
30 दिसंबर को पीएसएलवी-सी60 ने स्पैडेक्स अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग मिशन के तहत दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया. इसके साथ ‘पीओईएम-4’ प्लेटफॉर्म भी पृथ्वी से 350 किमी की ऊंचाई पर 24 अलग-अलग प्रयोगों को अंजाम दे रहा है. इसरो का कहना है कि इन प्रयोगों से भविष्य में अंतरिक्ष में खाद्य उत्पादन और मानव बस्तियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी.
भविष्य के लिए संभावनाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्रयोग से मिले परिणाम मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान और प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बड़ी मदद करेंगे. इसके साथ ही अंतरिक्ष में जीवन और फसलों की संभावना को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा. वीएसएससी की उप निदेशक टी. लता ने बताया कि उनकी टीम इस सफलता से बेहद उत्साहित है और यह प्रयोग अंतरिक्ष जीवविज्ञान के क्षेत्र में एक नई शुरुआत का संकेत है.