ऑस्‍ट्रलि‍या धरती पर सीरीज का पहला टेस्‍ट जीत कर भारतीय क्र‍िकेट टीम ने हमें बड़ी आशा बंधा दी है. कि हम टेस्‍ट सीरीज में जीत सकते हैं. ऐसा कर पाए तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए अनोखा कीर्तिमान होगा. टीम इंडिया पर यही आरोप लगता रहा है कि अपने घर में सभी को पराजि‍त कर सकते हैं लेकिन इंग्‍लैंड, ऑस्‍ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जा कर सीरीज जीतने की काबिलियत नहीं दिखा पाते. अब वक्‍त आ गया है कि भारत इस तोहमत से मुक्‍त‍ि पाए.


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टेस्‍ट मैच में तभी जीता जा सकता है कि जब आप के गेंदबाज 20 विकेट लेने की कूबत रखते हैं. भारतीय तेज गेंदबाज में उसके क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा परिवर्तन यही हुआ है कि बुमराह, ईशांत शर्मा, मोहम्‍मद शमी, उमेश यादव और भुवनेश्‍वर कुमार के रूप में ऐसा तेज आक्रमण है, जो दुनिया के किसी भी तेज आक्रमण से कमतर नहीं है. यह मसला भारत को एक बहुत ही संतुलि‍त टीम बनाने में मदद देता है. दूसरी बात यह भी हुई है कि जहां दुनिया भर में तेज गेंदबाजी का स्‍तर निम्‍नतम दौर पर है वहां भारत में यह बेहतर हुआ है. तेज गेंदबाजी के इस दौर को हम मामूलीपन का दौर भी कह सकते हैं. जब ऐसा होता है तो शीर्षक्रम के बल्‍लेबाज खूब रन कूटते हैं. साधारण बल्‍लेबाज भी डॉन ब्रेडमैन की तरह नजर आने लगते हैं. इसलिए मैं उन लोगों से खफा रहता हूं जो विभिन्‍न कालखंडों में हुए तेज गेंदबाजों या बल्‍लेबाजों की तुलना केवल आंकड़ों के आधार पर करते हैं. आंकड़े कभी भी यह नहीं बताते कि विरोधी टीम कितनी गुणगान थी. किस स्‍तर के गेंदबाजों के खिलाफ आपने रन बनाए. यह भी तो अहम है न.


भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच चल रही टेस्‍ट मैचों की सीरीज की बात करें तो पाएंगे कि डेविड वॉर्नर, और स्‍टीवन स्‍म‍िथ के बि‍ना ऑस्‍ट्रेलियाई टीम कमजोर दिख रही है. ऑस्‍ट्रेलियाई क्रिकेट के इतिहास में ये टीम सबसे कमजोर नजर आती है. टीम के बल्‍लेबाज न तो तेज गेंदबाजों को ढंग से खेल पा रही है. न स्‍पिनरों को. ऑस्‍ट्रेलिया ने अपने दो सितारों को जरूरत से ज्‍यादा सजा सुना दी है. सीरीज का परिणाम अगर ऑस्‍ट्रेलिया की उम्‍मीदों के विपरीत आया तो उसका आत्‍मविश्‍वास बिखर सकता है.


भारत के लिए अच्‍छी बात ये है कि पहले टेस्‍ट में चेतेश्‍वर पुजारा और अजिंक्‍य रहाणे जिस तरह से बल्‍लेबाजी की, उसने भारत को शर्मनाक हालात से बचा लिया. आज के बल्‍लेबाजों में पुजारा एकाग्रता, तकनीक, मानसिक दृढ़ता और रन बनाने की भूख के मामले में सबसे आगे हैं. तकनीक के मामले में मैं उन्‍हें विराट से भी बेहतर मानता हूं. गेंदबाज जितने ऊंचे स्‍तर के होते हैं, पुजारा का खेल उतना ही बेहतर होता जाता है.


कई खिलाड़ी अच्‍छी प्रति‍भा के होते हुए भी नाजुक मौकों पर अच्‍छा नहीं खेल पाते. जीत हासिल होती है प्रतिभा को परिणामों में तब्‍दील करने से. केएल राहुल रोहित शर्मा और मुरली विजय शीर्ष क्रम में अपनी प्रतिभा को परिणामों में नहीं बदल पा रहे हैं. यह भारत के लिए बड़ी चिंता है. आपको हमेशा विराट कोहली व चेतेश्‍वर पुजारा जैसे बड़े बल्‍लेबाजों पर आधारित होना पड़ रहा है. अन्‍य खिलाडियों को भी अपनी जिम्‍मेदारी का एहसास होना चाहिए. मुश्किल व अपरिचित परिस्थितियों में ही आप के चरित्र की परीक्षा होती है. दुनिया में हर जगह विकेट भारत की तरह तो नहीं खेल रहे होंगे. दुनिया पर दबदबा बनाना चाहते हैं तो विदेशों में जा कर नियमित रूप से जीत हासिल करते रहना पड़ेगा.


भारत टेस्‍ट में विश्‍व में नंबर 1 पर विराजमान है. इस पायदान पर जमे रहने के लिए सही चयन व मानसिक दृढ़ता की आवश्‍यकता होगी. भारतीय टीम ऐसा करने में सक्षम है. पर ऑस्‍ट्रेलियाई क्रिकेट को भी कमतर नहीं आंकना चाहिए. वे जवाबी हमला करने में माहिर हैं. उनका तेज आक्रमण शानदार है और खास दिन वे भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. 


(लेखक प्रसिद्ध कमेंटेटर और पद्मश्री से सम्मानित हैं.)


(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)