भारत में लाखों लोग ऐसे हैं जो ऐतिहासिक जगहों समेत कई कारणों से नेपाल की यात्रा करने की प्रबल इच्छा रखते हैं. बेशक भारत के साथ कुछ सीमा विवाद हैं जो नए नहीं हैं और नरेंद्र मोदी सरकार के साथ मिलकर सुलझाए जा सकते हैं, जो हमेशा से नेपाल के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहती है. वर्तमान समय नेपाल के लिए भारत के साथ अपने मुद्दों को सुलझाने के लिए काफी अनुकूल है. लेकिन इसके बजाय, नेपाल सरकार ने टकराव का रास्ता चुना है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और निश्चित रूप से नेपाल के हित में नहीं है. 


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आज, यहां तक कि दुनिया के अधिकांश देश चीन की क्षेत्रीय विस्तार नीतियों के बारे में चिंता महसूस करते हैं. नेपाल की वर्तमान सरकार ने मूर्खतापूर्ण ढंग से भारत के प्रति जो दुश्मनी बनाई है, वो नेपाल सरकार द्वारा पिछले कुछ हफ्तों के दौरान की गई कार्रवाइयों की सीरीज से स्पष्ट है. इसने भारत के कुछ हिस्सों पर दावा करते हुए अपने नक्शे को एकतरफा रूप से बदल दिया है. नेपाल सरकार ने भारत से लगी अपनी सीमा पर बैरिकेड लगाकर गंडक बैराज पर तटबंध में मरम्मत का काम रोक दिया है. 


नेपाल सरकार ने ऐलान किया है कि अगर कोई नेपाली पुरुष देश के बाहर की महिला से शादी करता है तो नेपाल सरकार दुल्हन को सात साल तक मान्यता नहीं देगी. जमीनी हकीकत की समझ रखने वाले लोग आसानी से जान जाएंगे कि भारत के साथ अपने रिश्ते खराब करने से नेपाल को कुछ हासिल नहीं होगा. क्या नेपाल में ऐसी समझदार आवाजों पर नेपाली सरकार ध्यान देती है?  नेपाल सरकार के अटपटे और विचित्र व्यवहार को देखते हुए कई लोगों को लगता है कि नेपाल में मौजूदा शासकों को चीन की सरकार भारत के साथ टकराव लेने के लिए बढ़ावा दे रही है.


यही नेपाल का अंत होगा और धीरे-धीरे ये देश एक और तिब्बत बन जाएगा. दुनिया में कहीं भी नेपाल का कोई शुभचिंतक ऐसा नहीं चाहेगा. नेपाल एक खूबसूरत देश है जहां के लोग अपनी कई विशेष और तारीफ के काबिल विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं. अगर नेपाल तिब्बत का रास्ता तय करेगा तो ये दुखद होगा. अपनी छोटी सोच के कारण नेपाल में मौजूदा शासक ऐतिहासिक गलती कर रहे हैं और बस यही उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही इसका अहसास हो और ये सुनिश्चित करें कि तबाही की ओर आगे बढ़ रहे कदमों को रोका जाए.


(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)