बैंकों को लूटने में शराब किंग विजय माल्या, क्रिकेट मसीहा ललित मोदी और अब हीरा व्यापारी नीरव मोदी को फिल्मी ग्लैमर का पूरा सहयोग मिला, पर उनके अपराध के सहयोगी सेलिब्रिटीज के खिलाफ कभी कोई कारवाई क्यों नहीं होती?


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प्रियंका चोपड़ा का विक्टिम कार्ड
देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले के अगले दिन यह खुलासा हुआ कि नीरव मोदी ने बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा को विज्ञापन की बकाया रकम चुकता नहीं की है. खबरों के अनुसार प्रियंका चोपड़ा और सिद्धार्थ मल्होत्रा नीरव मोदी को कानूनी नोटिस भेजने के साथ विज्ञापन के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने पर भी विचार कर रहे हैं. इन्हें अब पैसा तो वैसे भी नहीं मिलना पर कानूनी जवाबदेही और जनता के सवालों से बचने के लिए प्रियंका चोपड़ा द्वारा विक्टिम कार्ड खेलना कितना जायज है? नीरव मोदी की वेबसाइट के अनुसार प्रियंका चोपड़ा अभी भी उनकी एम्बेसडर हैं और उनके हीरे प्रियंका की तरह विश्वसनीय हैं. अनुष्का शर्मा और प्रियंका चोपड़ा के ग्लैमर के दम पर फोर्ब्स 100 में आने वाले नीरव मोदी के पापों के लिए क्या अब ब्रांड एम्बेसडर की जवाबदेही भी तय नहीं होनी चाहिए?


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प्रियंका चोपड़ा और अन्य एम्बेसडर के वित्तीय लेन देन की जांच हो
पंजाब नेशनल बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है जिसमें सरकार ने कुछ दिन पहले 5473 करोड़ के पूंजी निवेश का फैसला किया था. इस घोटाले के बाद पीएनबी के शेयर के दामों में गिरावट से सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हो गया है. नीरव मोदी के खिलाफ काले धन, हवाला, पीएम्एलए और बेनामी मामलों के कानून के तहत ईडी, इनकम टैक्स और सेबी द्वारा जांच की जा रही है. तो फिर नीरव मोदी द्वारा सरकारी बैंक के पैसे की लूट से लाभान्वित होने वाले लोगों से अपराध की रकम की वसूली क्यों नहीं होनी चाहिए? अगर कोई आदमी चोरी के गहने या कार खरीदता है तो पुलिस उसे भी गिरफ्तार करके चोरी के माल को जब्त कर लेती है. नीरव मोदी की 5100 करोड़ की संपत्तियां जब्त करने के साथ क्या प्रियंका चोपड़ा जैसे लोगों की नीरव मोदी से हुई आमदनी की जांच नहीं होनी चाहिए?


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तंबाकू के सरोगेट विज्ञापन के लिए हॉलीवुड अभिनेता पियर्स ब्रॉसनन को नोटिस
सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) के सेक्शन पांच के तहत दिल्ली सरकार ने हॉलीवुड अभिनेता पियर्स ब्रॉसनन के खिलाफ नोटिस जारी करके जवाब मांगा था, क्योंकि पान मसाला की आड़ में तंबाकू का विज्ञापन गैरकानूनी है. केंद्र सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण बिल 2018 संसद में पेश किया गया, जिसमे भ्रामक विज्ञापनों के लिए सेलिब्रिटीज के खिलाफ कारवाई की बात कही गई. वर्ष 2014 में तत्कालीन मंत्री के वी थॉमस ने केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद् के हवाले से संसद में यह कहा था कि गलत विज्ञापनों से नुकसान के लिए सेलिब्रिटीज को हर्जाना देना चाहिए. तो क्या इन सभी नियमों को अब प्रियंका चोपड़ा जैसे सेलिब्रिटीज के खिलाफ लागू करके क्या सेलिब्रिटीज को अब वास्तविक देशप्रेम के लिए प्रेरित करने का समय नहीं आ गया है? 


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सरकार और देश को सीआईआई जवाब दे
जेल जाने के डर से पूरे परिवार के साथ विदेश भागने वाले नीरव मोदी ने दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाने का दुस्साहस कैसे किया? सरकार द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार नीरव मोदी या कोई भी उद्योगपति सरकारी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं थे. भारतीय उद्योग परिसंघ के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं होने के बावजूद सीआईआई ने नीरव मोदी को प्रधानमंत्री के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाने की अनाधिकृत अनुमति यदि दी भी तो एसपीजी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने सवाल क्यों नहीं उठाये? सरकार बदलने से उद्योगपतियों और सेलिब्रिटीज का सिस्टम नहीं बदलता. इन सवालों के जवाब और कारवाई से बैंकों और देश के संपदा की लूट पर लगाम लग सकती है, जिसके लिए पीएम मोदी से देश की जनता को ऐतिहासिक जनादेश मिला है.