तिनका-तिनका : हाशिए के पार की एक दुनिया, जो खुद को सृजन से जोड़ रही है
तेलंगाना की जेल में बंदी 24 साल के गौरिश ने जेल में बंद मां को निरीहता से देखते उसके बच्चों और पिता को दिखाया है. पेशे से फोटोग्राफर रहे गौरिश के लिए चित्रकारी नई जिंदगी लेकर आई है.
भैश सिंह साहू के लिए पेंटिंग नई जिंदगी की सौगात लेकर आई है. उसका परिचय एक चित्रकार का ही है, लेकिन इसमें एक और परिचय साथ में जुड़ा है. 73 वर्षीय भैश सिंह साहू छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में बंदी है. उसने एक तस्वीर के जरिए जेल में आ रहे बदलाव को पेंसिल से उकेरा है. इसी तरह 22 वर्षीय ममता ने जेल में हो रहे कामों को तस्वीर के जरिए दिखाया है. वह भी छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में बंदी है. तेलंगाना की जेल में बंदी 24 साल के गौरिश ने जेल में बंद मां को निरीहता से देखते उसके बच्चों और पिता को दिखाया है. पेशे से फोटोग्राफर रहे गौरिश के लिए चित्रकारी नई जिंदगी लेकर आई है.
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यह वे लोग हैं जो जेल में रहकर भी अपनी जिंदगी को नए सिरे से लिखने में तल्लीन हैं. अपने अतीत को किनारे रखकर जिंदगी की कहानी को फिर से परिभाषित करने में तल्लीन. इन सभी को 2017 के अंत में तिनका-तिनका इंडिया अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. तिनका-तिनका भारतीय जेलों के नाम एक श्रृंखला है, जिसके तहत हर साल दो बार बंदियों को उनके किसी नेक और विशेष काम के लिए सम्मानित किया जाता है. यह सम्मान जेलों में सुधार और सृजनात्मकता के नाम हैं. इसमें हर साल जेल अधिकारियों को भी शामिल किया जाता है. कुछ पुरस्कार विशेष पुरस्कारों की श्रेणी में भी दिए जाते हैं. इसमें वे तमाम योगदान शामिल किए जाते हैं जो जेलों को सुधार की तरफ ले जाते हैं या बंदियों के किसी विशेष योगदान को दिखाते हैं. मिसाल के तौर पर तिहाड़ में पिछले 15 साल से आजीवन कारावास में बंद 43 साल के विनय ने नशाबंदी पर नुक्कड़ नाटकों के जरिए पूरी जेल को जोड़ने की कोशिश की है. गुजरात की जेल में बंद धवल कुमार हरीश चंद्र त्रिवेदी और केरल की जेल से अनीष कुमार ने जेल में शिक्षा और सफाई के लिए विशेष सेवाओं दी हैं. पश्चिम बंगाल में सजा काट रही सोनी लामा जेल अस्पताल में अपनी खास सेवा देती रही हैं. इसी तरह गुजरात की सूरत जेल में बंदी 40 वर्षीय वीरेंद्र विट्ठल भाई वैष्णव ने पत्रकारिता के अपने पुराने पेशे को आगे ले जाते हुए खुद को लेखन से जोड़े रखा है.
2017 के अंत में जब इन सम्मानों को तिहाड़ के महानिदेशक अजय कश्यप ने तिहाड़ में ही रिलीज किया तो उम्मीद की एक नई रोशनी भी दिखी, क्योंकि इस साल जेल अधिकारियों और स्टाफ की श्रेणी में देश के 15 जेल अधिकारियों और स्टाफ को भी सम्मानित किया गया. तेलंगाना से अकुला नरसिम्हा को जेलों में आधुनिकीकरण लाने, जल-निकासी सुधारने और बड़े स्तर पर जेलों को उत्पादकता लाने के लिए चुना गया है. तेलंगाना से ही बाचू सदाइयाह को जेलों में मुलाकात कक्षों को सुधारने, 2000 से ज्यादा पेड़ लगवाने, जेल में पैथ लैब में सुधार, पेट्रोल पंप लगवाने और विद्यादान योजना की सफलता के लिए चुना गया है. उन्होंने जेल को कर्म और मुनाफे से जोड़ा है.
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छत्तीसगढ़ की केंद्रीय जेल बिलासपुर के अधीक्षक शेखर सिंह टिग्गा को जेलों में किताबों के जरिए कैदियों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए तिनका-तिनका अधिकारी अवॉर्ड दिया गया. उनके प्रयासों से 2016 से जेल में पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ग्रंथालय में 2000 से ज्यादा किताबें शामिल कर ली गई हैं. प्रिजन मिनिस्ट्री ऑफ इंडिया, बिलासपुर की मदद से दान में भी कुछ किताबें ली गईं. उन्होंने बंदियों और उनके बच्चों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए उन्हें सृजन से जोड़ा है. आज बड़ी तादाद में जेल में चित्रकारी और लेखन का काम होता है.
तिहाड़ जेल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट अजय भाटिया ने जेल में 100 से ज्यादा मामलों की देख-रेख की है और गरीब बंदियों को कानूनी मदद दिलाई है. वे कैदियों की शिक्षा को लेकर प्रयासरत हैं. तिहाड़ की खुली जेल में हर्बल पार्क तैयार करने का श्रेय भी उन्हें जाता है. इसी कड़ी में तिहाड़ से नीतू चुघ को बंदियों के लिए वोकेशनल कोर्स में विशेष मदद देने और राजेंद्र कुमार को सृजनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया.
केरल के अधिकारी थोमस ओ जे ने बंदियों की शिक्षा और उन्हें कानूनी सलाह देते हुए जेल के माहौल में बदलाव लाने का प्रयास किया है.
महाराष्ट्र से विक्रांत कारभारी कुटे और तेजश्री बाजीराव पवार को संगीत और कला की गहनता से जोड़कर बंदियों को सकारात्मक बनाने के प्रयास के लिए चयनित किया गया है. विक्रांत ने गाने से और तेजश्री ने तबले के अपने हुनर से बंदियों को संगीत के जरिए बदलाव की प्रेरणा दी है.
गुजरात से डीएम गोहेल का नाम जेल सुधार के कामों की वजह से चुना गया.
उत्तर प्रदेश के एक जेल अधिकारी मोहम्मद अकरम खान ने जेल में सर्वधर्म समभाव की मिसाल कायम की है. उन्होंने नोएडा की जेल में उप्र का पहला स्टडी सेंटर भी बनवाया.
मध्यप्रदेश की उपजेल करेरा में सहायक जेल अधीक्षक दिलीप नायक ने बंदियों को योग एवं प्राणायाम से जोड़ा है और विभागीय मदद से बंदियों के लिए अलग मुलाकात कक्ष को बनवाया है.
इसलिए साल की शुरुआत में जब देश विकास की नई इबारत लिखने में जुट गया है, यह याद रखना भी जरूरी है कि हाशिए के पार भी एक दुनिया है जो खुद को सृजन से जोड़ रही है और एक दिन फिर इसी समाज का हिस्सा बनेगी.
(डॉ. वर्तिका नन्दा जेल सुधारक हैं. जेलों पर एक अनूठी श्रृंखला- तिनका तिनका- की संस्थापक हैं. खास प्रयोगों के चलते दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)