भयानक घटना की वजह से तबाह हुआ चमकदार करियर, इन 3 क्रिकेटर्स को मजबूरी में लेना पड़ा संन्यास
इन 3 खिलाड़ियों की संन्यास की वजह उनके प्रदर्शन में गिरावट, गंभीर चोट, कोई बड़ी बीमारी या बोर्ड के द्वारा उनकी अनदेखी रही है. हम आपको बताएंगे क्रिकेट इतिहास से जुड़े उन 3 खिलाड़ियों के बारे में जिनका करियर इंटरनेशनल क्रिकेट में वक्त से पहले ही खत्म हो गया.
नई दिल्ली: हर क्रिकेटर का सपना होता है कि वह अपने देश के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट तो जरूर खेले, लेकिन कई क्रिकेटर ऐसे भी हैं, जो इतने बदकिस्मत रहे हैं, जिनका करियर चोट, बीमारी और राजनीति के कारण खत्म हो गया. इंटरनेशनल क्रिकेट में 3 ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिन्हें ना चाहते हुए भी वक्त से पहले अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर को अलविदा कहना पड़ा है. इन 3 खिलाड़ियों की संन्यास की वजह उनके प्रदर्शन में गिरावट, गंभीर चोट, कोई बड़ी बीमारी या बोर्ड के द्वारा उनकी अनदेखी रही है. हम आपको बताएंगे क्रिकेट इतिहास से जुड़े उन 3 खिलाड़ियों के बारे में जिनका करियर इंटरनेशनल क्रिकेट में वक्त से पहले ही खत्म हो गया.
1. क्रेग कीसवेटर
क्रेग कीसवेटर इंग्लैंड क्रिकेट टीम के उभरते हुए सितारे थे, लेकिन बदकिस्मती से इंग्लैंड टीम का ये सितारा ज्यादा समय तक चमक ना सका और आंख पर लगी एक गंभीर चोट के कारण क्रिकेट के मैदान से दूर हो गया. क्रेग कीसवेटर ने इंग्लैंड के लिए 22 साल की उम्र में अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला था. उन्होंने 2010 के टी20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की टीम को विजेता बनाने में अहम भूमिका भी निभाई थी. उस टी20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में क्रेग के बल्ले से 261 रन निकले थे, लेकिन 2015 में एक काउंटी क्रिकेट मैच के दौरान उन्हीं के साथी खिलाड़ी डेविड विली की बॉल उनके हेल्मेट के अंदर घूसती हुई आंख से टकरा गई, जोकि क्रेग कीसवेटर के लिए करियर खत्म करने वाली बॉल साबित हुई. उस चोट के बाद इंग्लैंड का ये टेलेंटिड खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान पर कभी वापसी नहीं कर पाया और 25 साल की उम्र में संन्यास लेकर गुमनामी के अंधेरों में गायब हो गया.
2. जेम्स टेलर
लिस्ट में जो दूसरा खिलाड़ी शामिल है, वो भी इंग्लैंड क्रिकेट टीम का ही हिस्सा रहा है, नाम है जेम्स टेलर. इंग्लैंड में कभी टैलेंटेड खिलाड़ियों की कमी नहीं रही है, उन्हीं में से एक थे जेम्स टेलर. जेम्स ने अपने करियर की शुरुआत 2011 में की थी तब उनकी उम्र 21 साल थी, लेकिन अपने करियर की शुरुआत के मात्र 5 साल बाद सभी को पता चला कि जेम्स को दिल से संबंधित बीमारी है और अगर वह लगातार क्रिकेट खेलना जारी रखते हैं, तो ये बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है. संन्यास के समय 26 साल के टेलर शानदार फॉर्म में थे. उस साल उन्होंने इंग्लैंड के लिए शतक भी लगाया था. अपने करियर में वे सिर्फ 7 टेस्ट और 27 वनडे मैच ही खेल सके. टेस्ट मैच की 13 पारियों में उन्होंने 312 रन बनाए थे, वहीं वनडे क्रिकेट की 26 पारियों में उनके बल्ले से 42.24 की औसत से 887 रन निकले.
3. प्रज्ञान ओझा
कोई गेंदबाज किसी टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने जैसा जबरदस्त प्रदर्शन करे और उसके बाद उसका करियर खत्म हो जाए, तो आपको उस पर यकीन नहीं होगा. ऐसा एक उदाहरण बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) हैं, जिन्हें टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने के बावजूद टीम से ऐसा बाहर किया गया कि वो फिर कभी लौटकर ही नहीं आए. ये गेंदबाज कभी टीम इंडिया (Team India) का सबसे बड़ा हथियार था और रविचंद्रन अश्विन के साथ उनकी जोड़ी हिट मानी जाती थी.
बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) को 33 साल की उम्र में ही संन्यास की घोषणा करनी पड़ी थी और इसकी सबसे बड़ी वजह रवींद्र जडेजा बने. प्रज्ञान ओझा ने 14 नवंबर 2013 को अपना आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था, जो सचिन तेंदुलकर का इंटरनेशनल क्रिकेट से विदाई मैच भी था. मुंबई में खेले गए इस टेस्ट मैच में प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का कारनामा किया था. इसके बाद ओझा के एक्शन पर सवाल उठा दिए गए. इसी कारण उन्हें मजबूरन टीम इंडिया से बाहर बैठना पड़ा. इसके बाद उन्होंने एक्शन में सुधार के लिए जमकर मेहनत की और आईसीसी से क्लीन चिट भी हासिल कर ली, लेकिन तब तक तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की गुडबुक में शामिल रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर चुके थे. इस कारण दोबारा ओझा की टीम में कभी वापसी नहीं हो पाई.
सचिन की विदाई के खुमार में नहीं याद रहे किसी को 10 विकेट
ओडिशा में 5 सितंबर, 1986 को जन्मे ओझा का आखिरी टेस्ट बहुत ही ऐतिहासिक था. न केवल ओझा ने इस टेस्ट में 10 विकेट लेने का कारनामा किया था बल्कि यह महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के करियर का भी अंतिम टेस्ट था. मुंबई में 14 नवंबर 2013 को शुरू हुए इस टेस्ट में प्रज्ञान की गेंदबाजी का कहर कैरेबियाई बल्लेबाजों पर इस कदर बरपा था कि 3 दिन में ही रिजल्ट आ गया था. लेकिन सचिन तेंदुलकर की विदाई के खुमार के बीच प्रज्ञान की यह जोरदार उपलब्धि दबकर रह गई. हालांकि वह इस टेस्ट मैच में 'मैन ऑफ द मैच' भी चुने गए थे.
इतिहास में दर्ज हुए थे वो 10 विकेट
मुंबई टेस्ट में तब प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का कारनामा किया, जो भारत-वेस्टइंडीज के बीच खेले गए 90 टेस्ट मैचों में छठा बेस्ट गेंदबाजी प्रदर्शन था. इतना ही नहीं भारत की तरफ से वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टेस्ट मैच में यह तीसरे नंबर का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन था.
टी20 इंटरनेशनल में 4 विकेट लेकर किया था डेब्यू
प्रज्ञान ओझा ने अपना टी-20 इंटरनेशनल करियर 2009 टी20 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में किया था. इस मैच में ओझा ने 21 रन देकर 4 विकेट लिए थे और उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया था. इसके बावजूद उनका टी20 इंटरनेशनल करियर 6 मैच में 10 विकेट तक ही सिमटकर रह गया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कभी भी उनकी बॉलिंग में पूरा विश्वास नहीं दिखा पाए. इसके अलावा ओझा ने 2009 में ही श्रीलंका के खिलाफ कानपुर टेस्ट में अपना इंटरनेशनल टेस्ट करियर शुरू किया था.
उस टेस्ट में भारतीय जीत में उन्होंने 4 विकेट लिए थे. उन्होंने अपने 24 टेस्ट मैच के करियर में 30.26 के औसत से कुल 113 विकेट लिए. उन्होंने टेस्ट मैचों में 7 बार पारी में 5 विकेट और 1 बार मैच में 10 विकेट लेने का कारनामा किया था. वेस्टइंडीज के खिलाफ ओझा का प्रदर्शन ज्यादा शानदार रहा. उन्होंने कैरेबियाई टीम के खिलाफ 5 टेस्ट मैच में ही 31 विकेट अपने खाते में दर्ज किए थे. इसके अलावा ओझा ने टीम इंडिया के लिए 18 वनडे मैच में भी 21 विकेट अपने नाम किए थे.
आईपीएल में भी दिखाया शानदार खेल
प्रज्ञान ओझा ने इंडियन प्रीमियर लीग में डेक्कन चार्जर्स के लिए पहले सीजन में ही जगह बना ली थी. डेक्कन के 2009 में दक्षिण अफ्रीका की धरती पर आईपीएल खिताब जीतने में भी ओझा का बेहतरीन योगदान रहा था और इसी कारण उन्हें उसी साल टीम इंडिया के लिए टेस्ट, वनडे और टी-20 यानी तीनों फॉर्मेट में इंटरनेशनल करियर चालू करने का मौका मिल गया था. डेक्कन के साथ ही आईपीएल में ओझा का भी आखिरी सीजन 2011 रहा. चार सीजन खेलने के दौरान 56 मैच में उन्होंने 62 विकेट लिए, जिसके लिए उनका औसत 23.59 और इकॉनमी रेट 7.91 का रहा था.