South Africa: `चोकर्स` का तमगा फिर नहीं हटा पाई दक्षिण अफ्रीकी टीम, कहां से आया ये शब्द?
AUS vs SA: वर्ल्ड कप 2023 के दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ्रीका को 3 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बना ली है. अब कंगारुओं से भारत का सामना खिताबी मुकाबले में होगा. हार के साथ ही साउथ अफ्रीका अपने ऊपर से `चोकर्स` का तमगा हटाने में कामयाब नहीं हो पाई.
South Afica 'Chokers': वर्ल्ड कप 2023 के दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ्रीका को 3 विकेट से हराकर फाइनल में जगह बना ली है. अब कंगारुओं से भारत का सामना खिताबी मुकाबले में होगा. हार के साथ ही साउथ अफ्रीका अपने ऊपर से 'चोकर्स' का तमगा हटाने में कामयाब नहीं हो पाई. आखिर साउथ अफ्रीका के साथ ऐसा क्या हुआ, जिससे टीम को चोकर्स कहा जाने लगा. इसके पीछे की कहानी क्या है. आइए आपको बताते हैं.
फाइनल में ऑस्ट्रेलिया
कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेला गया वर्ल्ड कप 2023 का दूसरा सेमीफाइनल मैच बेहद ही रोमांचक रहा. इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए डेविड मिलर ने साउथ अफ्रीका को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया. 24 रन पर 4 विकेट गिरने के बाद डेविड मिलर और हेनरिक क्लासेन के बीच 5वें विकेट के लिए 95 रनों की साझेदारी हुई. क्लासेन 47 रन बनाकर आउट हो गए, लेकिन मिलर ने शतक जड़ते हुए टीम को 212 तक पहुंचाया. मिलर के बल्ले से 101 रनों की पारी देखने को मिली. इसमें 8 चौके और 5 छक्के शामिल थे. टारगेट का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट खोकर 215 रन बनाए और मैच अपने नाम कर लिया. अब ऑस्ट्रेलिया का 19 नवंबर को भारत से खिताबी मुकाबला होना है.
'चोकर्स' का तमगा नहीं हटा पाया अफ्रीका
साउथ अफ्रीका की टीम इस हार के साथ ही एक बार फिर 'चोकर्स' के नाम से ट्रेंड हुई. पूरे टूर्नामेंट में अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाने वाली टीम इतनी बुरी तरह से धराशायी होगी. इसकी किसी को उम्मीद तक नहीं थी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के आगे साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज(मिलर और क्लासेन को छोड़कर) ज्यादा देर क्रीज पर न टिक सके. टीम के 7 बल्लेबाज तो दोहरे अंक तक भी नहीं पहुंच सके. इसके साथ ही एक बार फिर साउथ अफ्रीका को 'चोकर्स' कहा जा रहा है. दरअसल, इसकी शुरुआत हुई 1999 वर्ल्ड कप से.
ऐसे साउथ अफ्रीका का नाम पड़ा 'चोकर्स'
आप पढ़कर हैरान रह गए होंगे कि जिस टीम में इतने धांसू बल्लेबाज रहे हों और मौजूदा समय में भी जो टीम इतना बेहतरीन क्रिकेट खेल रही है, भला उसे चोकर्स क्यों कहा जाएगा. लेकिन इसके पीछे एक बेहद ही दिलचस्प किस्सा है. बात है 1999 वर्ल्ड कप की, जिसके सेमीफाइनल मुकाबले के बाद से ही टीम को 'चोकर्स' कहा जाने लगा. टीम की किस्मत इतनी खराब रही है कि हमेश बड़े मैचों में टीम 'चोक' हो गई है, यानी खराब प्रदर्शन कर बाहर हो गई है.
ऑस्ट्रेलिया के साथ सेमीफाइनल मैच
17 जून, 1999. ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका, वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल मैच. उस समय की ये दोनों की टीमें ताकतवर मानी जाती थीं. ऑस्ट्रेलिया की टीम किसी तरह से 213 रन बोर्ड पर लगाने में कामयाब रही. साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 214 रनों का लक्ष्य मिला. अफ्रीका की शुरुआत अच्छी रही. ओपनर गैरी कर्स्टन और हर्शल गिब्स के बीच पहले विकेट के लिए 48 रनों की साझेदारी हुई. इसके बाद शेन वॉर्न ने दोनों बल्लेबाजों की आउट करा दिया. इसके बाद टीम के लगातार विकेट गिरने के सिलसिला शुरू कर दिया और टीम के 198 रन पर 9 बल्लेबाज आउट हो चुके थे. लेकिन कहानी में अभी ट्विस्ट बाकी था.
'क्लूजनर' ने लगभग जिता दिया था मैच
साउथ अफ्रीका के 9 विकेट जरूर गिर चुके थे. लेकिन टूर्नामेंट के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी लांस क्लूजनर क्रीज पर मौजूद थे. इससे अफ्रीकन टीम की जीत की उम्मीदें भी बरकरार थीं. उनके साथी थे एलन डोनाल्ड। टीम को 8 गेंद पर चाहिए थे 16 रन. सबको क्लूजनर से उम्मीदें थीं. उन्होंने अगली गेंद पर छक्का जड़ा और फिर एक रन लेकर आखिरी ओवर में स्ट्राइक अपने पास रखी. अब टीम को 6 गेंदों में 9 रन की जरूरत थी. आखिरी ओवर की पहली दो गेंदों पर क्लूजनर ने लगातार चौके जड़ दिए, जिससे स्टेडियम में बैठे फैंस खिलाड़ियों से लेकर विपक्षी टीम तक को यह लग गया कि अब साउथ अफ्रीका मैच जीत रहा है. लेकिन कहानी में एक बेहद ही दिलचस्प मोड़ बाकी था.
... और फिर टूट गया सपना
4 गेंदों में जीत के लिए चाहिए था एक रन. ओवर की तीसरी गेंद पर क्लूजनर ने शॉट लगाया. लेकिन रन लेने में कामयाब नहीं हो सके. अब तीन गेंदों में 1 रन चाहिए था. ओवर की चौथी गेंद पर जो हुआ, किसी को इसकी उम्मीद तक नहीं थी. क्लूजनर ने सामने की तरफ शॉट लगाया, लेकिन गेंद स्टंप से जा लगी और मिड ऑफ की दिशा में चली गई. नॉन स्ट्राइकर एन्ड पर खड़े एलन डोनाल्ड गेंद को देखने के चक्कर में रह गए. लेकिन क्लूजनर भागकर नॉन स्ट्राइकर एन्ड पर पहुंच गए. डोनाल्ड जब तक भागकर रन पूरा कर पाते तब तक वह रनआउट हो गए. मैच ड्रॉ हो गया. चूंकि उस समय सुपरओवर का कोई चलन नहीं था तो अच्छे रन रेट के आधार पर ऑस्ट्रेलिया टीम फाइनल में पहुंच गई थी. इस हार के साथ ही साउथ अफ्रीका को चोकर्स कहा जाने लगा.
हर बड़े मैच में 'चोक' हो गई टीम
साल 1992 से वर्ल्ड कप का हिस्सा बनी साउथ अफ्रीका टीम अब तक कुल 9 बार वर्ल्ड कप खेली चुकी है, लेकिन बदकिस्मती देखिए कि आज तक एक भी खिताब नहीं जीत पाई है. ऐसा भी नहीं है कि साउथ अफ्रीका ने विश्व कप में किसी कमजोर टीम की तरफ शुरुआत की हो. टीम में धांसू खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने अकेले दम पर कई मैच जिताए हैं, फिर भी बड़े मंच पर टीम का प्रदर्शन बेहद घटिया रहा है. मौजूदा वर्ल्ड कप में भी टीम ने लीग मैचों में गजब का प्रदर्शन किया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के सामने कुछ खिलाड़ियों को छोड़ दें तो बाकी अपने फैंस को हमेशा की तरह एक बार फिर निराश कर गए.