IND vs NZ: टीम इंडिया की ऑकलैंड वनडे में हार के 5 कारण, बन सकते हैं मुसीबत
India vs New Zealand: टीम इंडिया ने अगर ऑकलैंड में की गई गलतियों को नहीं सुधारा तो उसे शायद क्लीन स्वीप का सामना करना पड़े.
नई दिल्ली: जब हैमिल्टन में टीम इंडिया की हार हुई थी, तब लगा था कि शायद टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ (India vs New Zealand) ऑकलैंड में वापसी करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस मैच में भारत की हार के खास कारण ऐसे हैं जिन्हें विारट कोहली को अगले मैच में ध्यान देने के बहुत जरूरत है, नहीं तो आखिरी मैच में मुश्किल हो सकते हैं.
बहुत समय बाद ऐसा हुआ कि टीम इंडिया की हार तय ही लग रही थी लेकिन अंत में मैच रोमांचक होने के बाद भी मैच टीम इंडिया के हाथ से निकल गया.
1. दबाव का फायदा न उठा पाना
टीम इंडिया दबाव का फायदा नहीं उठा सकी. जब न्यूजीलैंड के 8 विकेट 200 से पहले ही आउट हो गई, तो टीम इंडिया के पास मौका था मेजबानों को 250 से काफी पहले ही आउट कर देती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को 273 रन बनाने का मौका दे दिया.
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2. जसप्रीत बुमराह का मैच में बेअसर होना
टीम इंडिया के लिए सबसे चिंता जनक प्रदर्शन टीम के सबसे प्रमुख पेसर जसप्रीत बुमराह का फीका प्रदर्शन रहा. बुमरहा पीछले दो वनडे की तरह इस वनडे में भी विकेट लेने में नाकाम रहे. 33वें ओवर तक बुमराह ने 6 ओवर में 37 रन दिए थे, लेकिन पारी खत्म होने तक उनके 10 ओवर में 64 रन गए. डेथ ओवर स्पेशलिस्ट बुमराह अंतिम ओवरों में न तो विकेट ले पा रहे हैं न ही रन रोक पा रहे हैं.
3. टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाजों की नाकामी
इस मैच में टीम इंडिया के टॉस और मिडिल ऑर्डर बुरी तरह से नाकाम रहा. बल्ले से कई बार खिलाड़ी चूक सकता है, लेकिन आउट होने के बाद भी रन गति में पिछड़ने का संयोग टीम को बहुत महंगा पड़ रहा है. केवल पृथ्वी शॉ और शार्दुल ठाकुर का स्ट्राइक रेट 100 से ज्यादा का रहा. ज्यादा स्कोर बनाने वालों में अय्यर, सैनी और जडेजा ही कुछ ठीक ठाक स्ट्राइक रेट से रन बना सके.
4.डेथ ओवरों में कमजोर गेंदबाजी
जब न्यूजीलैंड की टीम बैटिंग कर रही थी तब टीम इंडिया की गेंदबाजों की तुलना पिछले मैच के प्रदर्शन से की जा रही थी. इस लिहाज से टीम इंडिया का प्रदर्शन बेहतर तो था, लेकिन ऑकलैंड जीतने के लिए काफी नहीं था. टीम इंडिया की गेंदबाजी की कलई न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने खोली और जीत के अंतर ने ही न्यूजीलैंड को बेहतर साबित कर दिया. सारा अंतर आखिरी 9 ओवरों में ही दिखाई दिया, क्योंकि 41 ओवर तक दोनों टीमों का एक ही स्कोर था. टीम इंडिया को अपने डेथ ओवरों में बेहतर होने की जररूत है.
5. आखिरी ओवर में सेंसिटिव खेल पाने में नाकामी
इस मैच में लोअर ऑर्डर को थोड़ा और समझदारी से खेलने की जरूरत थी जैसा कि न्यूजीलैंड की टीम ने आखिरी में दिखाया. अगर जडेजा, चहल और सैनी थोड़ा सा धैर्य और दिखाते बेशक नतीजा कुछ और ही होता. फिर जिस तरह से जडेजा, सैनी ने बैटिंग की वह काबिले तारीफ ही था, लेकिन दुर्भाग्य से वह काफी नहीं था.
इन बातों पर विराट कोहली ने अगर ध्यान नहीं दिया तो माउंट मोउनगुई में होने वाले आखिरी मैच में टीम इंडिया को क्लीन स्वीप का सामना करना पड़े तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. न्यूजीलैंड का आत्म विश्वास जो टी20 सीरीज में चल गया था. वह वनडे सीरीज में लौट आया है. मंगलवार को विलियम्स के आने से टीम की मजबूती बढ़ जाएगी. ऐसा में टीम इंडिया की वापसी आसान नहीं होगी.